भारत ने मजबूत किया 'सुरक्षा कवच', S-400 तैनात!

नई दिल्ली: भारत ने हाल के वर्षों में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं, और इसमें सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती है। एस-400, रूस द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को और अधिक सशक्त बनाने के लिए खरीदा है।

एस-400 का महत्व:

एस-400, जो कि 400 किलोमीटर तक के दायरे में दुश्मन के एयरक्राफ्ट, बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है, भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह सिस्टम उच्च गति वाले विमान और मिसाइलों को भी नष्ट करने की क्षमता रखता है, और इसके रडार सिस्टम की रेंज इतनी विस्तृत होती है कि यह दुश्मन के विमानों और मिसाइलों का पता लगाने में सक्षम होता है, जो कई सौ किलोमीटर दूर होते हैं।

एस-400 की तैनाती:

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने एस-400 सिस्टम की पहली डिलीवरी दिसंबर 2021 में प्राप्त की और इसे पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया। यह स्थान पाकिस्तान और चीन दोनों से नजदीकी होने के कारण सुरक्षा दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। इसके बाद, अप्रैल 2022 से दूसरे एस-400 स्क्वाड्रन की डिलीवरी शुरू हुई और इसे चीन के साथ भारत की सीमा से सटे पूर्वी क्षेत्र में तैनात किया गया।

सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, एस-400 का पहला स्क्वाड्रन ऐसे स्थान पर तैनात किया गया है, जिससे चीन की सीमा पर किसी भी संभावित हमले का मुकाबला किया जा सके। वहीं, दूसरा स्क्वाड्रन लद्दाख क्षेत्र में तैनात किया गया है, जो खासकर भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को ध्यान में रखते हुए अहम भूमिका निभा सकता है। एस-400 की तैनाती इन क्षेत्रों में सुरक्षा को एक नई मजबूती प्रदान करती है।

अन्य एयर डिफेंस सिस्टम:

भारत के पास केवल एस-400 ही नहीं, बल्कि अन्य कई प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम भी हैं। इनमें आकाश, पृथ्वी एयर डिफेंस (पीएडी), एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी), और प्रोजेक्ट कुशा जैसे सिस्टम शामिल हैं। इन सभी सिस्टम्स का उद्देश्य भारत की हवाई और मिसाइल सुरक्षा को मजबूत करना है।

आकाश और एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी) जैसे सिस्टम भारत के आंतरिक सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, जबकि पृथ्वी एयर डिफेंस (पीएडी) और प्रोजेक्ट कुशा का उपयोग विभिन्न प्रकार की मिसाइलों और हवाई हमलों से बचाव के लिए किया जाता है।

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