परमाणु टेस्ट के वक्त इन देशों ने किया था भारत का विरोध

नई दिल्ली: पोखरण परमाणु परीक्षण, जो 11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण गांव में हुआ था, भारतीय इतिहास का एक अहम मोड़ साबित हुआ। यह परीक्षण भारत के आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम था और दुनिया को दिखा दिया कि भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है। 

हालांकि, यह परीक्षण दुनिया के कई देशों के लिए हैरानी का कारण बना और इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद उत्पन्न हो गया था। खासकर पश्चिमी देशों ने इसे एक बड़ा दुस्साहस माना और भारत को इसका खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी।

अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का विरोध

जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया, तो अमेरिका ने तीव्र विरोध जताया और भारत पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। इसके साथ ही, अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, जर्मनी और स्वीडन ने भी भारत के इस कदम की आलोचना की और भारत पर आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। इन देशों ने यह माना कि भारत का परमाणु परीक्षण वैश्विक शांति के लिए खतरा हो सकता है और इसके कारण सुरक्षा की स्थिति नाजुक हो सकती है। इसके अलावे चीन और पाकिस्तान ने भी इसका विरोध किया था।

इसके बावजूद, भारत ने इन तमाम आलोचनाओं की परवाह किए बिना, पोखरण में 13 मई 1998 को दो और परमाणु परीक्षण किए, जिससे कुल मिलाकर भारत ने पांच परमाणु परीक्षण कर लिए। इस परीक्षण के बाद, भारत ने परमाणु शक्ति के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया और वह दुनिया का छठा परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन गया।

रूस और फ्रांस का समर्थन

इस बीच, रूस और फ्रांस जैसे देशों ने भारत का समर्थन किया। रूस ने न केवल भारत पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया, बल्कि भारतीय परमाणु कार्यक्रम का भी विरोध नहीं किया। फ्रांस, जो नाटो का सदस्य है, ने भी भारत को अपने रणनीतिक साझेदार के रूप में स्वीकार किया और भारत पर किसी तरह के प्रतिबंध लगाने से इनकार किया। इसके अलावा, ब्रिटेन ने भी भारत के परमाणु कार्यक्रम की आलोचना की, लेकिन प्रतिबंध लगाने का समर्थन नहीं किया।

भारत की रणनीति और अमेरिका का दबाव

भारत को यह परीक्षण करने से पहले अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA ने भारतीय परमाणु कार्यक्रम पर नज़र रखना शुरू कर दिया था। इस कारण भारत को अपनी रणनीतियों में सुधार करना पड़ा। 1995 में जब अमेरिका को इसकी जानकारी मिली, तो उसने भारत को परमाणु परीक्षण से रोकने की कोशिश की। 

इसके बाद, 1998 में भारत ने एक नई रणनीति अपनाई, जिसमें सभी वैज्ञानिक सेना की वर्दी में परीक्षण स्थल पर पहुंचे, ताकि उन्हें पहचानने में कोई दिक्कत न हो। भारत के वैज्ञानिकों ने यह भी जानकारी जुटाई थी कि अमेरिका के सैटेलाइट कब भारत की गतिविधियों पर नजर रख रहे होते थे। इस रणनीति के तहत ही भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक किए।

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