यूपी में अब गेहूं की खरीद को लेकर 1 बड़ा फैसला

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों और फसल की स्थिति को देखते हुए, राज्य सरकार ने गेहूं खरीद की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए टाल दिया है। पहले जहां 1 मार्च से सरकारी क्रय केंद्रों के संचालन की उम्मीद जताई जा रही थी, अब इस प्रक्रिया को और अधिक समय तक इंतजार करना होगा।

मौसम का प्रभाव और फसल की स्थिति

उत्तर प्रदेश में गेहूं की फसल की कटाई की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है, जिसके चलते सरकारी खरीद में देरी हुई है। मौजूदा मौसम की स्थितियों ने गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। ऐसे में, जब फसल पूरी तरह से तैयार नहीं होती है, तो किसान भी अपनी उपज को बाजार में बेचने के लिए मजबूर नहीं होते हैं, और सरकारी खरीद का कार्य भी प्रभावित होता है।

गेहूं की फसल में देरी होने का मुख्य कारण फरवरी माह में अधिक तापमान और असमय हुई बारिश रही। इन मौसमीय बदलावों ने गेहूं की उपज को प्रभावित किया है और उसे पूरी तरह से पकने का समय नहीं मिल पाया है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल को नुकसान से बचाने के लिए कटाई में देरी करनी पड़ी है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीद की योजना

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल गेहूं के लिए 2425 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है। पिछले साल 2024 में यह दर 2275 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो कि इस वर्ष के एमएसपी में वृद्धि को दर्शाती है। इस बढ़ोतरी का उद्देश्य किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके और कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा सके।

सरकारी खरीद केंद्रों के संचालन की योजना के अनुसार, पहले 1 मार्च से 15 जून तक गेहूं की खरीद की जानी थी। हालांकि, मौसम के प्रभाव और फसल की स्थिति के चलते, इस समय सीमा को बढ़ाया गया है। अब राज्य सरकार द्वारा यह निर्देश जारी किया गया है कि इस समय सीमा की पुनर्निर्धारित समय सारिणी जल्द ही जारी की जाएगी। इसके अलावा, सरकार ने सभी संबंधित विभागों को खरीद की पूरी तैयारी करने का आदेश दिया है, ताकि जैसे ही मौसम में सुधार हो और फसल की कटाई शुरू हो, तुरंत खरीद प्रक्रिया को चालू किया जा सके।

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