यूपी में अवैध कब्जा जमाए लोगों पर 23 लाख जुर्माना

कानपुर: उत्तर प्रदेश में सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जे की समस्या एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। विशेषकर, कानपुर जैसे बड़े शहरों में यह समस्या और भी विकट हो गई है। यहां के सरकारी आवासों पर कई अधिकारी और कर्मचारी अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए हैं, जिससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, बल्कि इस प्रकार के अवैध कब्जे से कानून का भी उल्लंघन हो रहा है। कानपुर में ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासन अब सख्त कदम उठा रहा है और उनसे 23 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।

कानपुर में अवैध कब्जे का मामला

कानपुर के विभिन्न सरकारी आवासों पर अब तक 17 अधिकारियों और कर्मचारियों ने अवैध कब्जा कर रखा था। इन आवासों के बारे में जांच के बाद जिला प्रशासन ने इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई है। जांच में सामने आया कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने सरकारी आवासों पर कब्जा किया है और लंबे समय से उन्हें खाली नहीं किया। इसके बाद प्रशासन ने इन सभी अधिकारियों को नोटिस भेजकर किराया व जुर्माना वसूली की प्रक्रिया शुरू की है।

जिला प्रशासन ने इन अवैध कब्जों पर सख्त कदम उठाते हुए बिजली कनेक्शन काटने की कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिशासी अभियंता के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम ने आवासों का निरीक्षण किया और कब्जाधारियों के खिलाफ एक सूची तैयार की, जिसके आधार पर बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं। इसके अलावा, प्रशासन ने आवासों की बेदखली की नोटिस जारी की है और इनकी संपत्ति को जब्त करने की भी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

नोटिस और कार्रवाई का सिलसिला

कानपुर में अवैध कब्जे के मामले में जिला प्रशासन ने पहले 13 फरवरी को सभी अधिकारियों के विभागाध्यक्षों के नाम पर नोटिस भेजे थे। इस नोटिस में चेतावनी दी गई थी कि अगर आवास खाली नहीं किए गए तो जुर्माना और किराया वसूली की जाएगी। इसके बाद, एक रिमाइंडर भी भेजा गया, लेकिन बावजूद इसके कई अधिकारी और कर्मचारी अपनी अवैध स्थिति को छोड़ने को तैयार नहीं थे।

28 फरवरी को प्रशासन ने फिर से सात आवासों की बिजली काटने का नोटिस भेजा और चेतावनी दी कि अगर आवास खाली नहीं किए गए तो और भी कठोर कदम उठाए जाएंगे। इस कदम से यह साफ संदेश दिया गया कि प्रशासन अब इस मुद्दे को हल करने के लिए पूरी तरह से गंभीर है।

जुर्माना और कुर्की की कार्रवाई

कानपुर में जो जुर्माना लगाया गया है, वह कुल 23 लाख रुपये तक पहुंच सकता है। इसमें जुर्माना राशि और किराया वसूली दोनों शामिल हैं। यह जुर्माना न केवल सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि कोई भी सरकारी आवास का गलत तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकता। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अगर जुर्माना राशि जमा नहीं की गई, तो कब्जाधारी अधिकारियों के आवासों पर रखा सामान भी जब्त किया जा सकता है।

इसके अलावा, अगर ये अधिकारी और कर्मचारी अवैध कब्जे को छोड़ने में विफल रहते हैं, तो प्रशासन उनकी संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया भी शुरू कर सकता है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में कोई भी व्यक्ति बचने के लिए चक्कर नहीं काट सकता। एक नायब तहसीलदार ने आवास खाली करने के लिए सहमति दी थी, लेकिन जुर्माना राशि से बचने के लिए वे अभी भी इस मामले को टालने की कोशिश कर रहे हैं। प्रशासन ने उन्हें कड़ा संदेश दिया है कि जुर्माना राशि जमा करनी ही पड़ेगी।

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