चीन में खौफ, भारत की अग्नि-5 और के-4 मिसाइलें बढ़ा रही हैं चिंता!

नई दिल्ली: भारत की रक्षा क्षमताओं में निरंतर हो रहे विकास ने न केवल पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शक्ति समीकरण में भी बदलाव की दिशा निर्धारित की है। खासतौर पर चीन, जो पहले से ही भारत को अपने रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता है, अब भारत की अग्नि-5 और के-4 मिसाइलों से अधिक चिंतित नजर आ रहा है। ये मिसाइलें भारत की मिसाइल शक्ति में एक नई ताकत का इज़ाफा करती हैं, जिससे न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर पड़ रहा है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा पर भी इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

अग्नि-5 मिसाइल: एक शक्तिशाली एटमी हथियार

भारत की अग्नि-5 एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने की क्षमता रखती है। इसका मतलब यह है कि यह मिसाइल चीन के सभी हिस्सों को अपने निशाने पर ला सकती है। अग्नि-5 की सफलता भारत की परमाणु नीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो रही है, क्योंकि यह भारत को "न्यूक्लियर डिटेरेंस" (परमाणु निवारक क्षमता) प्रदान करती है। यानि, यदि कोई देश भारत पर परमाणु हमले की कोशिश करता है, तो भारत का जवाब तत्काल और प्रभावी हो सकता है। अग्नि-5 मिसाइल ने न केवल भारत के सैन्य आत्मनिर्भरता को बढ़ाया है, बल्कि यह चीन जैसे बड़े सैन्य शक्तियों के खिलाफ भारत की रक्षा क्षमता को भी मजबूती प्रदान करता है।

के-4 मिसाइल: समुद्र से ताकतवर हमला

भारत की के-4 मिसाइल समुद्र से लांच की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के सुरक्षा ढांचे में एक नई धार जोड़ती है। इसे "स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर पावर" के रूप में देखा जा रहा है। के-4 की रेंज लगभग 3,500 किलोमीटर है, जो चीन के लिए एक और चिंता का कारण है। समुद्र से लॉन्च होने वाली मिसाइलें किसी भी अन्य मिसाइल की तुलना में अधिक गुप्त और अप्रत्याशित होती हैं, क्योंकि इनका पता लगाने की प्रक्रिया जटिल होती है। इस तरह के मिसाइलों के साथ भारत अपनी समुद्री सीमाओं में भी परमाणु ताकत को प्रभावी ढंग से तैनात कर सकता है।

चीन का खौफ और भारत का सामरिक लाभ

चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के मुकाबले भारत के पास अब अग्नि-5 और के-4 जैसी मिसाइलों के रूप में एक प्रभावी परमाणु शक्ति मौजूद है। चीन, जो अपनी सुरक्षा के लिए आक्रामक रणनीतियों को अपनाता है, भारत के इन मिसाइल सिस्टम्स से परेशान है, क्योंकि यह न केवल भारतीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाता है, बल्कि चीन के लिए संभावित खतरे को भी जन्म देता है।

चीन के लिए चिंता का कारण यह है कि इन मिसाइलों की रेंज और ताकत उन्हें अपने दूरस्थ क्षेत्रों में भी निशाना बनाने की क्षमता देती है, जिससे उनके लिए सैन्य संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही, भारत की रणनीतिक स्थिति भी अब काफी मजबूत हो गई है, जिससे चीन को रणनीतिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

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