7 क्षेत्रों में चीन से आगे निकला भारत, दुनिया की नजरें अब भारत पर!

नई दिल्ली: भारत और चीन एशिया के दो प्रमुख देश हैं, जिनकी आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक ताकतें वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में चीन को पीछे छोड़ने में सफलता पाई है। यहां हम उन सात प्रमुख क्षेत्रों की बात करेंगे, जिनमें भारत ने चीन को पछाड़ते हुए एक नई दिशा में अग्रसर होने की राह प्रशस्त की है।

1. जनसंख्या: भारत की बढ़ती जनसंख्या

भारत की जनसंख्या वर्तमान में लगभग 1.42 बिलियन (142 करोड़) तक पहुंच चुकी है, जो इसे दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना देती है। चीन की जनसंख्या हालांकि अधिक थी, लेकिन उसके 'एक बच्चा नीति' (One Child Policy) ने उसे जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाने में मदद की। हालांकि, भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदला है और अपनी बड़ी जनसंख्या को एक युवा, गतिशील श्रमिक बल में बदलने की दिशा में सफलता प्राप्त की है।

भारत का युवा वर्ग दुनिया में सबसे बड़ा है, जो आने वाले दशकों में दुनिया के आर्थिक विकास को प्रभावित करेगा। इसके विपरीत, चीन की जनसंख्या वृद्धावस्था की ओर बढ़ रही है, जिससे कार्यबल में गिरावट आ सकती है और वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ सकती है।

2. विकास दर: भारत की तेज़ वृद्धि

विकास दर के मामले में भारत ने चीन से आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ी है, और विभिन्न क्षेत्रों जैसे निर्माण, सेवाएं, और उपभोक्ता वस्त्र में विकास हुआ है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर कई बार चीन से भी अधिक रही है, जिससे यह साबित होता है कि भारत का आर्थिक विकास स्थिर और प्रबल हो रहा है। वहीं, चीन की अर्थव्यवस्था अब धीमी हो रही है, जबकि भारत ने अपनी नीतियों और सुधारों के साथ तेज़ वृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

3. लोकतंत्र: भारत का लोकतांत्रिक मॉडल

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जबकि चीन एक कम्युनिस्ट शासन के तहत चलता है। लोकतंत्र का यह मॉडल भारत को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान दिलाता है। भारत में हर नागरिक को अपनी आवाज़ उठाने का अधिकार है, और यह लोकतांत्रिक तंत्र दुनिया भर में प्रशंसा प्राप्त करता है। वहीं, चीन में जहां सरकार के सभी निर्णय एक केंद्रीकृत सत्ता से होते हैं, वहीं भारत में चुनावों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से नीति निर्धारण होता है। यह वैश्विक स्तर पर भारत को एक आकर्षक और स्थिर लोकतांत्रिक उदाहरण बनाता है।

4. आईटी सर्विस: डिजिटल पावरहाउस

भारत की आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाएं वैश्विक स्तर पर प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। देश की प्रमुख आईटी कंपनियां जैसे TCS, Infosys, और Wipro ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी सेवाएं दी हैं। भारत में आईटी सेक्टर ने लाखों लोगों को रोजगार प्रदान किया है और देश को डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके विपरीत, चीन का आईटी उद्योग अपने विकास के बावजूद पूरी दुनिया में भारत जितनी धूम नहीं मचा सका है। भारत का आईटी क्षेत्र अब वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय और सक्षम सप्लायर के रूप में स्थापित हो चुका है।

5. मेडिकल टूरिज्म: स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ती लोकप्रियता

भारत ने मेडिकल टूरिज्म में भी महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। दुनिया भर से लोग इलाज के लिए भारत का रुख कर रहे हैं क्योंकि यहां सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हैं। भारत में हर साल लाखों विदेशी पर्यटक आते हैं, जो सस्ती दरों पर विश्वस्तरीय इलाज प्राप्त करते हैं। वहीं, चीन में मेडिकल टूरिज्म के अवसर सीमित हैं, जबकि भारत ने अपनी उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाओं को विश्व स्तर पर स्थापित किया है।

6. सस्ता सैटेलाइट लॉन्च: भारत की अंतरिक्ष शक्ति

भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भी चीन को कड़ी टक्कर दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सस्ते और प्रभावी सैटेलाइट लॉन्च करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। 2017 में भारत ने 104 सैटेलाइटों को एक ही रॉकेट में सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो एक विश्व रिकॉर्ड है। ISRO की सफलता ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है। इसके अलावा, भारत की सैटेलाइट लॉन्च लागत चीन से भी सस्ती है, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की स्थिति और मजबूत हुई है।

7. युवा आबादी: युवा शक्ति का पूंजीकरण

भारत की युवा आबादी चीन से कहीं अधिक है। दुनिया में सबसे अधिक युवा भारत में हैं, और यह एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कारक है। भारत के पास 1.2 बिलियन लोग हैं, जिनमें से लगभग 65% लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं। इस युवा श्रमिक बल को शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सक्षम बनाकर भारत ने अपने विकास की गति को बढ़ाया है। चीन की आबादी वृद्धावस्था की ओर बढ़ रही है, जबकि भारत के पास एक युवा और विकासशील मानव संसाधन है, जो भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाएगा।

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