यूपी में शराब, बीयर और मॉडल शॉप का आवंटन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शराब, बीयर और मॉडल शॉप का आवंटन अब पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ संपन्न हो रहा है। लखनऊ में देशी शराब, अंग्रेजी शराब, बीयर और भांग के ठेकों का आवंटन एक ई-लॉटरी प्रणाली के माध्यम से हुआ, जो न केवल राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह एक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है कि कैसे तकनीकी साधनों का उपयोग करके सरकारी प्रक्रियाओं को सही तरीके से और निष्पक्षता से अंजाम दिया जा सकता है।

ई-लॉटरी प्रणाली: पारदर्शिता की नई मिसाल

आबकारी विभाग ने इस प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ और डिजिटल तकनीकी के माध्यम से संचालित किया। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित इस लॉटरी प्रक्रिया की निगरानी जिलाधिकारी विशाख जी, आबकारी विभाग और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने की। यह लॉटरी न केवल पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी थी कि आधुनिक तकनीकी उपकरणों की मदद से पारंपरिक सरकारी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाया जा सकता है।

कुल आवंटन और आवेदन प्रक्रिया

इस प्रक्रिया के तहत लखनऊ में कुल 572 देशी शराब की दुकानें, 400 अंग्रेजी शराब और बीयर की दुकानें तथा 56 मॉडल शॉप को आवंटित किया गया। इन ठेकों के लिए कुल 17,605 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 6 आवेदन विभिन्न कारणों से रद्द कर दिए गए। इस लॉटरी प्रक्रिया में आवेदनकर्ताओं का चयन पूरी पारदर्शिता से किया गया, ताकि कोई भी व्यक्ति या समूह इस प्रक्रिया में किसी प्रकार से प्रभावित न हो। यह तकनीकी हस्तक्षेप और प्रशासनिक सतर्कता ने इस पूरे आवंटन को विश्वसनीय और निष्पक्ष बना दिया।

समय की आवश्यकता और भ्रष्टाचार की रोकथाम

पारंपरिक तरीके से ठेकों का आवंटन अक्सर भ्रष्टाचार और अनुचित प्रथाओं का शिकार हो जाता था। कई बार राजनीतिक दबाव, आर्थिक प्रभाव, और अन्य कारणों से यह प्रक्रिया पक्षपाती हो जाती थी। ऐसे में ई-लॉटरी प्रणाली का उपयोग एक स्वागत योग्य कदम है, जो न केवल इस प्रक्रिया को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाता है, बल्कि लोगों का प्रशासनिक तंत्र पर विश्वास भी बढ़ाता है।

ई-लॉटरी प्रक्रिया से यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक आवेदनकर्ता को समान अवसर मिले और चयन पूरी तरह से सिस्टम के द्वारा स्वचालित तरीके से हो, जिससे किसी भी बाहरी दबाव या पक्षपाती व्यवहार का कोई स्थान न हो। यह प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता का प्रतीक है, जो राज्य में शासन और सरकारी कार्यों के प्रति विश्वास को बढ़ाता है।

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