भाई वीरेंद्र ने विधानसभा में दिव्यांग शिक्षकों की भर्ती में बिहार के उम्मीदवारों के मुकाबले दूसरे राज्यों के उम्मीहुआ है, क्योंकि बिहार के दिव्यांग शिक्षकों को प्राथमिकता नहीं दी गई। मंत्री सुनील कुमार ने जवाब में कहा कि बिहार के 80 फीसदवारों की अधिक संख्या पर सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीति का उल्लंघन दी अभ्यर्थियों को ही नौकरी का अवसर दिया गया है, जबकि 20-22 प्रतिशत बाहरी उम्मीदवार चयनित हुए हैं।
डोमिसाइल नीति का क्या महत्व है?
डोमिसाइल नीति, किसी राज्य के निवासियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने का एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है। यह नीति राज्य के मूल निवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है, ताकि वे अपने राज्य के विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे सकें। बिहार में, जैसे-जैसे सरकारी नौकरियों की संख्या बढ़ी है, राज्य के उम्मीदवारों ने यह उम्मीद जताई थी कि डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी, ताकि बाहरी राज्यों से आने वाले उम्मीदवारों के मुकाबले उन्हें अधिक अवसर मिलें। लेकिन अब शिक्षा मंत्री के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि डोमिसाइल नीति फिलहाल लागू नहीं होगी, जो कई उम्मीदवारों के लिए राहत की बात है।
बीपीएससी शिक्षक भर्ती और बाहरी उम्मीदवार
भाई वीरेंद्र ने यह भी कहा कि बीपीएससी शिक्षक भर्ती में भी यही स्थिति रही है, जहां दूसरे राज्यों के लोग बिहार की नौकरियों में चयनित हो गए, जबकि राज्य के बेरोजगार युवा अभी भी रोजगार की तलाश में हैं। यह मुद्दा बिहार के स्थानीय युवाओं के लिए चिंता का कारण बन गया है, जो महसूस करते हैं कि उन्हें रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
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