क्या अप्रैल में बढ़ेगा शिक्षामित्रों का मानदेय? सरकार ने कर दिया साफ!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार करे। यह आदेश ऐसे समय पर आया है जब शिक्षामित्रों ने अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ कई बार धरना-प्रदर्शन किए हैं और अदालत का दरवाजा भी खटखटाया है। शिक्षामित्रों की संख्या प्रदेश के प्राथमिक और अपर प्राथमिक विद्यालयों में लाखों में है, लेकिन उनका मानदेय पिछले आठ वर्षों से नहीं बढ़ा है, और वे 10,000 रुपये महीने पर काम कर रहे हैं।

मानदेय में वृद्धि का लंबा इंतजार

शिक्षामित्रों का मानदेय अगस्त 2017 में 3500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक इसे पुनः बढ़ाया नहीं गया है। शिक्षामित्रों ने समय-समय पर अपनी परेशानियों को लेकर सरकार से मांग की है, लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई। 10,000 रुपये महीना उनके लिए एक बहुत छोटी राशि बन गई है, खासकर जब देश की बढ़ती महंगाई और आवश्यकताओं को देखते हुए। इसके अलावा, शिक्षामित्रों को गर्मियों की छुट्टियों में कोई मानदेय नहीं मिलता, जिससे उनका जीवन और भी कठिन हो जाता है।

हाईकोर्ट का आदेश और सरकार के विकल्प

हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि पर विचार करने का आदेश दिया है। हालांकि, सरकार के पास इस आदेश के खिलाफ अपील करने या समय मांगने के अलावा बहुत से विकल्प नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार, यूपी सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर कोई निर्णायक कदम नहीं उठा रही है। बेसिक शिक्षा और वित्त विभाग ने पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय को मानदेय बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वहां से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला। अब यह देखा जाएगा कि सरकार इस आदेश को लेकर क्या कदम उठाती है।

प्रदेश में शिक्षामित्रों की क्या है स्थिति

उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में लगभग 1.48 लाख शिक्षामित्र कार्यरत हैं। ये शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के अलावा विद्यालयों की व्यवस्थाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने भी यह स्वीकार किया है कि शिक्षामित्रों की संख्या और उनकी मेहनत के कारण ही प्रदेश के विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर हुआ है। यह मानदेय वृद्धि का मुद्दा सिर्फ शिक्षामित्रों के जीवन से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था से भी जुड़ा है।

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