कावेरी इंजन: एक तकनीकी चमत्कार
कावेरी इंजन का विकास भारत के प्रतिष्ठित संस्थान, ग्रॉटू के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेबलिशमेंट (GTRE) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया है। यह इंजन भारतीय वायुसेना के लिए स्वदेशी फाइटर जेट बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि भारत का लक्ष्य अपनी सैन्य शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने का है। कावेरी इंजन का परीक्षण रूस में ग्रोमोव फ्लाइट रिसर्च इंस्टीट्यूट में किया जाएगा, जो एक विश्वस्तरीय संस्थान है और विमानन तकनीकी परीक्षणों के लिए जाना जाता है।
दुनिया का एलीट क्लब: ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, रूस और चीन
भारत का लक्ष्य दुनिया के उन देशों के साथ खड़ा होना है, जो केवल कुछ चुनिंदा देश हैं, जो इस तरह के एडवांस जेट इंजन बनाने में सक्षम हैं। ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, रूस और चीन वे देश हैं, जिनके पास स्वदेशी जेट इंजन बनाने की क्षमता है। अब भारत इस प्रतिष्ठित क्लब में शामिल होने की दिशा में बढ़ रहा है, और यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
आगे का रास्ता: 2024-25 में परीक्षणों की समाप्ति और उत्पादन
GTRE और DRDO का लक्ष्य है कि 2024-25 तक सभी परीक्षण पूरे किए जाएं और 2025-26 तक कावेरी इंजन का सीमित उत्पादन शुरू किया जाए। यह भारत के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है, क्योंकि यह स्वदेशी रक्षा तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगी। इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना को अपनी जरूरतों के हिसाब से एक अत्याधुनिक इंजन प्राप्त होगा, जिससे उसकी सैन्य शक्ति को और भी मजबूती मिलेगी।
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