भारत की वृद्धि का प्रेरणास्त्रोत
भारत के इस आर्थिक सफर की शुरुआत 2015 में हुई, जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत की। उस समय भारत की जीडीपी 2.1 ट्रिलियन डॉलर थी। हालांकि, पिछले दस वर्षों में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुना से भी अधिक कर लिया है। यह वृद्धि हर क्षेत्र में देखी गई है, चाहे वह उद्योग, सेवा क्षेत्र, या कृषि हो। भारत ने अपनी अवसंरचना को मजबूत किया, डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं को लागू किया और निवेश को आकर्षित किया, जो उसकी अर्थव्यवस्था की ताकत का मुख्य कारण बनें।
भारत और जापान का प्रतिस्पर्धा
भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के कगार पर है, और यह जापान को पीछे छोड़ने वाला है। वर्तमान में जापान की जीडीपी 4.4 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि भारत की जीडीपी 4.3 ट्रिलियन डॉलर है। यह अनुमानित किया जा रहा है कि 2025 की तीसरी तिमाही तक भारत जापान को पीछे छोड़ देगा। इसके बाद, अगर भारत की विकास दर इसी गति से जारी रहती है, तो वह 2027 तक जर्मनी को भी पीछे छोड़ सकता है, जो इस समय 4.9 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है।
1 ट्रिलियन डॉलर से 4 ट्रिलियन डॉलर तक
भारत के लिए यह सफर आसान नहीं था। उसे अपने जीडीपी को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने में 60 साल का समय लगा, और फिर 1 ट्रिलियन डॉलर से 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने में सिर्फ़ 7 साल लगे। कोविड-19 के बावजूद, भारत ने 2021 में 3 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छुआ और केवल चार साल में 4 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी तक पहुँच गया। यह गति निश्चित रूप से भारत की आने वाले वर्षों में और अधिक वृद्धि की संभावना को प्रदर्शित करती है।
आगे का रास्ता: 10 ट्रिलियन डॉलर की ओर
यदि यही विकास दर बनी रही, तो भारत हर 1.5 साल में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ने में सक्षम होगा, और अनुमानित तौर पर 2032 तक भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, जो उसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शामिल कर सकती है।
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