बता दें की इस योजना के तहत चयनित लाभार्थियों को एक बकरा और दो बकरियां निशुल्क या बेहद कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। सरकार इन बकरियों पर सामान्य वर्ग के लिए ₹12,000 और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए ₹13,500 तक का अनुदान प्रदान कर रही है।
"पहले आओ, पहले पाओ"
इस योजना का लाभ 'पहले आओ, पहले पाओ' की तर्ज पर दिया जा रहा है। यानी जो बीपीएल परिवार पहले आवेदन करेंगे, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। पशुपालन विभाग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि बकरियां अनुदानित दरों पर दी जा रही हैं और चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।
स्वरोजगार की दिशा में पहल
पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो कम लागत में शुरू किया जा सकता है और कुछ ही महीनों में लाभ देना शुरू कर देता है। यह खासतौर पर महिलाओं और छोटे किसानों के लिए स्वावलंबन की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रहा है। बकरी का दूध, मांस और बच्चे — तीनों से आमदनी होती है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
लाभुकों में दिख रहा उत्साह
ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। कई लाभार्थियों ने बताया कि पहले उनके पास आय का कोई निश्चित साधन नहीं था, लेकिन अब बकरी पालन से वे नियमित आमदनी कर पा रहे हैं। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी सशक्तिकरण का माध्यम बन रही है।
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