यह कदम शिक्षा विभाग की समीक्षा के बाद उठाया गया, जिसमें पाया गया कि MDM संचालन में प्रधानाध्यापकों का काफी समय खर्च हो रहा है, जिससे स्कूलों की शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। इसके अलावा, कई जगहों पर इस योजना को लेकर विवाद और भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न हुई है।
13 मई से नई व्यवस्था
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि यह पायलट योजना 13 मई से 13 जून तक एक माह के लिए लागू की जाएगी। इस दौरान प्रखंड स्तर पर इसकी प्रभावशीलता की बारीकी से समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के नतीजों के आधार पर यह तय किया जाएगा कि राज्यभर के स्कूलों में इस प्रणाली को स्थायी रूप से लागू किया जाए या नहीं।
नए मॉडल के प्रमुख बिंदु:
प्रधानाध्यापक पूरी तरह MDM से मुक्त होंगे, उनका पूरा ध्यान अब स्कूल के शैक्षणिक प्रबंधन और गुणवत्ता सुधार पर रहेगा। MDM प्रभारी एक अन्य शिक्षक होंगे, जिन्हें यह दायित्व सौंपा जाएगा। बच्चों की उपस्थिति की निगरानी तकनीकी रूप से की जाएगी – MDM प्रभारी शिक्षक स्कूल शुरू होने के एक घंटे बाद बच्चों की उपस्थिति की फोटो लेकर भेजेंगे। भोजन की मात्रा उपस्थिति के आधार पर तय होगी और उसी के अनुसार रसोइयों को सूचित किया जाएगा।
शिक्षा की गुणवत्ता को मिलेगा बढ़ावा
यह कदम शिक्षकों को प्रशासनिक झंझटों से मुक्त कर, उनकी ऊर्जा और समय को शैक्षणिक गतिविधियों पर केंद्रित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होगा, छात्र-शिक्षक संवाद बेहतर होगा, और शिक्षकों की भूमिका अधिक प्रभावशाली बन सकेगी।
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