स्वघोषणा पत्र का उद्देश्य क्या है?
स्वघोषणा पत्र एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिसमें रैयत (भूमि धारक) स्वयं यह घोषणा करता है कि संबंधित भूमि पर उसका अधिकार है और वह उससे जुड़ी सभी कानूनी जानकारियों को प्रमाणित करता है। यह पत्र भूमि के स्वामित्व को सत्यापित करने की प्रक्रिया का एक आवश्यक हिस्सा है।
नए निर्देश क्या हैं?
राज्य सरकार ने जिलों के सभी संबंधित अधिकारियों और अमीनों को यह निर्देश दिया है कि वे घर-घर जाकर रैयतों को स्वघोषणा पत्र भरवाने के लिए प्रेरित करें। जिन लोगों ने अब तक यह पत्र नहीं भरा है, उनके घर जाकर अमीन खुद स्वघोषणा पत्र और वंशावली फार्म लेकर उपस्थित होंगे। अमीन रैयतों से बातचीत कर उनसे भूमि से जुड़े कागजात लेंगे और उन्हें या तो ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा करने के लिए प्रेरित करेंगे।
रैयतों से क्या अपेक्षा की जा रही है?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिनके पास भूमि संबंधित कागजात उपलब्ध हैं—जैसे खतियान, रसीद, वंशावली, या अन्य दस्तावेज़—उन्हें निर्धारित समय सीमा के भीतर स्वघोषणा पत्र के साथ जमा कर देना चाहिए। इससे न केवल सर्वेक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, बल्कि भविष्य में भूमि विवादों को भी रोका जा सकेगा।
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