बता दें की राज्य परिवहन प्राधिकरण ने ऐसे सैकड़ों बस मालिकों की पहचान कर ली है और अब उन्हें नोटिस भेजने का सिलसिला शुरू हो गया है। परिवहन विभाग ने साफ किया है कि जल्द ही बड़ी संख्या में इनका परमिट रद्द किया जाएगा।
क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश में प्राइवेट बसों को दो प्रकार के परमिट दिए जाते हैं। पहला है कांट्रैक्ट कैरिज परमिट, जिसमें किसी एक पार्टी या ग्रुप को तय दूरी तक ले जाने की अनुमति होती है। दूसरा है स्टेज कैरिज परमिट, जिसके तहत रोडवेज जैसी सेवाएं दी जाती हैं – यानी रास्ते में बसें रुकती हैं और यात्री चढ़ते-उतरते हैं।
कई प्राइवेट ऑपरेटर सस्ती दरों पर मिलने वाला कांट्रैक्ट कैरिज परमिट लेकर स्टेज कैरिज की तर्ज पर बसें चला रहे हैं। इससे न सिर्फ कानून का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि राज्य परिवहन निगम को राजस्व में बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
कार्रवाई के घेरे में सैकड़ों बसें
राज्य परिवहन प्राधिकरण के सचिव सगीर अहमद अंसारी ने बताया कि अब तक ऐसे सैकड़ों वाहन चिह्नित किए जा चुके हैं, जो गलत तरीके से ऑपरेशन कर रहे थे। इन बसों पर पहले भी जुर्माना और सीज करने जैसी कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन बस मालिक दोबारा वही गलती दोहराते हैं। अब सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। जिन बस मालिकों ने कांट्रैक्ट परमिट लेकर स्टेज सेवा दी है, उनके परमिट रद्द किए जाएंगे और उन्हें भविष्य में परमिट देने पर भी रोक लग सकती है।
यात्रियों की प्राथमिकता बनीं प्राइवेट बसें
कम किराया और अधिक रूट पर उपलब्धता के चलते आम लोग प्राइवेट बसों को प्राथमिकता दे रहे हैं। नतीजा यह है कि रोडवेज की आय में भारी गिरावट आई है। परिवहन विभाग के अनुसार, यह गैरकानूनी प्रतिस्पर्धा राज्य परिवहन निगम के लिए नुकसानदेह बन गई है।
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