नगरीय निकायों में भिन्नता दूर करने की पहल
बता दें की इस समय प्रदेश के विभिन्न नगर निगमों और पालिकाओं में नामांतरण प्रक्रिया और शुल्कों में व्यापक भिन्नताएं देखी जा रही हैं। उदाहरण के तौर पर, गाजियाबाद नगर निगम में वसीयत के आधार पर संपत्ति के नामांतरण के लिए ₹5000 शुल्क लिया जाता है, जबकि लखनऊ नगर निगम में यही कार्य निशुल्क किया जाता है। इसी तरह, मेरठ नगर निगम में संपत्ति के बंटवारे के नामांतरण पर 3% शुल्क लिया जाता है, जबकि प्रयागराज नगर निगम में यह शुल्क मात्र ₹2000 है।
नई व्यवस्था से होगी पारदर्शिता और सुविधा में वृद्धि
प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में वसीयत, बंटवारा और संपत्ति कर निर्धारण सूची में संशोधन, परिवर्तन की प्रक्रिया तथा शुल्क में समानता लाई जाएगी। इस कदम से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि नागरिकों को किसी भी कार्य में होने वाली देरी और आर्थिक शोषण से भी बचाव होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बाद अब नगर विकास विभाग इस दिशा में नई नियमावली और शुल्क दरों को तय करने की प्रक्रिया में जुट गया है। जल्द ही इसे कैबिनेट के सामने संस्तुति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
नगरीय प्रशासन में सुधार की दिशा में अहम कदम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम राज्य के नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है। इससे न केवल प्रशासन में सुधार होगा, बल्कि 'ईज ऑफ लिविंग' के तहत नागरिकों को बेहतर और समावेशी सेवाएं मिलेंगी। इस नई व्यवस्था के तहत नागरिकों को किसी भी नगर निगम या पालिका में समान प्रक्रिया और शुल्क की सुविधा मिलेगी, जिससे उन्हें किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी।
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