नशे में ड्यूटी, नहीं संभाला कार्यभार
मऊ जिले के डॉ. भैरव कुमार पांडेय को ड्यूटी के दौरान नशे की हालत में काम करने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में रुचि न लेने और अभद्र व्यवहार जैसे गंभीर आरोपों में निलंबित किया गया है। उन्हें पहले ही सीएचसी रतनपुरा से हटाकर मझवारा भेजा गया था, लेकिन उन्होंने वहां कार्यभार नहीं संभाला। अब उन्हें आजमगढ़ के अपर निदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
प्राइवेट प्रैक्टिस बनीं कार्रवाई की वजह
भदोही जिले के महाराजा चेत सिंह जिला अस्पताल में तैनात फिजीशियन डॉ. प्रदीप कुमार यादव पर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप सिद्ध होने पर उनकी दो वेतनवृद्धियां स्थायी रूप से रोक दी गई हैं। वहीं, स्वास्थ्य महानिदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील वर्मा पर औरैया में चिकित्साधिकारी रहते हुए वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। मामले में विभागीय जांच शुरू हो गई है।
डॉक्टरों पर शिकंजा, कई से मांगा गया जवाब
विभागीय कार्रवाई की जद में आने वाले अन्य डॉक्टरों में कुशीनगर के डॉ. रितेश कुमार सिंह, कानपुर नगर की डॉ. दीप्ती गुप्ता, गोरखपुर के डॉ. तनवीर अंसारी, मैनपुरी की डॉ. अकांक्षा पनवार और हरदोई की डॉ. रखशिंदा नाहिद शामिल हैं। ललितपुर में जखौरा सीएचसी के अधीक्षक डॉ. समीर प्रधान और बुलंदशहर के डॉ. पूनम सिंह से जवाब-तलब किया गया है।
मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टर भी घेरे में
बांदा मेडिकल कॉलेज के दो वरिष्ठ सर्जन डॉ. अनूप कुमार सिंह और डॉ. सोमेश त्रिपाठी पर भी कार्रवाई की तैयारी है। कुशीनगर मेडिकल कॉलेज की डॉ. रूचिका सिंह, शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. अभय कुमार सिन्हा और वर्तमान प्रधानाचार्य डॉ. राजेश कुमार पर सेवा प्रदाता फर्म से अनुचित लाभ लेने के आरोप लगे हैं।
सरकार का संदेश साफ: लापरवाही बर्दाश्त नहीं
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्पष्ट किया है कि मरीजों की उपेक्षा, लापरवाही और भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कार्रवाई प्रदेश के चिकित्सा तंत्र को दुरुस्त करने की दिशा में एक सख्त संदेश के रूप में देखी जा रही है।
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