कोविड के दौरान शुरू, अब और बड़े दायरे में पहुंची मदद
यह योजना सबसे पहले कोरोना महामारी के कठिन समय में शुरू की गई थी, जब अनेक बच्चे अचानक अनाथ हो गए थे। समय के साथ सरकार ने इसका विस्तार उन बच्चों तक भी कर दिया जो गरीबी, गंभीर बीमारी, बेघरपन, बाल श्रम, भिक्षावृत्ति जैसी परिस्थितियों में फँसकर सामान्य जीवन से दूर हो जाते हैं। आज भी कई बच्चे स्टेशन, फुटपाथ और अस्थायी शेल्टर में रहते हैं। ऐसे सभी जोखिमग्रस्त बच्चों के लिए यह योजना एक मजबूत सहारा बन रही है।
कौन ले सकता है योजना का लाभ?
अक्सर परिवारों में यह सवाल उठता है कि सहायता किन बच्चों को मिलेगी। सरकार ने इसके लिए स्पष्ट नियम बनाए हैं। ग्रामीण परिवारों की वार्षिक आय 72,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। शहरी क्षेत्रों में यह सीमा 96,000 रुपये तय की गई है। लेकिन यदि बच्चा वास्तव में अनाथ है और दोनों माता-पिता का निधन हो चुका है, तो आय सीमा लागू नहीं होती ऐसे बच्चों को सीधे योजना में शामिल किया जाता है।
दो बच्चों को मिल सकता है लाभ
एक परिवार के दो बच्चों को इस योजना में शामिल किया जा सकता है। ऐसे में परिवार को हर महीने लंबी अवधि तक कुल 8,000 रुपये की आर्थिक मदद मिलती है। इस योजना का उद्देश्य साफ है की “किसी भी बच्चे की शिक्षा सिर्फ इसलिए न रुके कि उसके पास आर्थिक संसाधन नहीं हैं।” इस योजना का लाभ 18 वर्ष की आयु तक लिया जा सकता है।
कैसे करें आवेदन?
आवेदन की प्रक्रिया बेहद सरल है। परिवार को विकास भवन स्थित प्रोबेशन कार्यालय से फॉर्म प्राप्त करना होता है। आवश्यक दस्तावेजों के साथ फॉर्म वहीं जमा किया जाता है। इसके बाद अधिकारी घर जाकर हालात की जांच पूरी करते हैं। यदि आवेदन सही पाया जाता है तो अगले ही महीनों में बच्चे के खाते में सहायता राशि आना शुरू हो जाती है।

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