रूस का एक बड़ा ऑफर, भारत की बड़ी टेंशन दूर!

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के रूसी मूल के युद्धपोतों के संचालन और निर्माण में लंबित समस्याओं को लेकर हाल ही में रूस ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिक प्रस्ताव दिया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान यह ऑफर भारतीय नौसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर पेश किया गया।

भारत में मरीन गैस टर्बाइन इंजन का उत्पादन

रूस ने भारत को एम-90एफआर मरीन गैस टर्बाइन इंजन का लोकल स्तर पर उत्पादन करने का प्रस्ताव दिया है। इस इंजन की तकनीक को पूरी तरह से भारत में ट्रांसफर करने की प्रतिबद्धता रूस ने दिखाई है। यह चौथी पीढ़ी का 20 मेगावाट वर्ग का इंजन है, जिसे रूस की कंपनियों एनपीओ सैटर्न और यूनाइटेड इंजन कॉर्पोरेशन ने विकसित किया है।

यदि यह परियोजना लागू होती है, तो भारत में या तो कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में, या मुंबई के नजदीक नए ग्रीनफील्ड कॉम्प्लेक्स में असेंबली और मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएँ स्थापित की जा सकती हैं। रूसी अधिकारियों के अनुसार, पांच साल के भीतर 60 प्रतिशत तक स्वदेशीकरण का लक्ष्य रखा गया है।

नौसेना के लिए तत्काल राहत

भारतीय नौसेना इस समय रूसी इंजनों और उनके कल-पुर्जों पर पूरी तरह निर्भर है। खासकर तलवार-क्लास फ्रिगेट्स और क्रिवक-3 क्लास कोर्वेट्स की मरम्मत में सप्लाई चेन की बाधा से करीब 40 प्रतिशत युद्धपोतों के संचालन में मुश्किलें आ रही हैं। टर्बाइन ब्लेड और फ्यूल पंप की कमी ने मरम्मत कार्यों को भी प्रभावित किया है।

रूस के इस प्रस्ताव से नौसेना को तत्काल राहत मिलने की संभावना है। रिटायर्ड अधिकारी रीयर एडमिरल संजय जे. सिंह का कहना है कि भारत अपना कावेरी मरीन गैस टर्बाइन इंजन विकसित कर रहा है, लेकिन रूस का ऑफर एक पुल के समान काम करेगा और मौजूदा युद्धपोतों की संचालन क्षमता को बनाए रखने में मदद करेगा।

रणनीतिक महत्व

इस प्रस्ताव से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता मजबूत होगी और विदेशी सप्लाई चेन पर निर्भरता कम होगी। साथ ही, भविष्य में फ्रंटलाइन युद्धपोतों के निर्माण में देरी नहीं होगी। यह कदम भारत की नौसेना को आत्मनिर्भर बनाने और समुद्री सुरक्षा के लिहाज से रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।

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