यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा अपडेट, पढ़ें तुरंत!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हलचल तेज हो गई है। शासन स्तर पर चुनाव की तैयारियाँ जोर पकड़ने लगी हैं और सबसे अहम मुद्दा आरक्षण निर्धारण अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे दावेदारों के लिए यह समय चिंता और उत्सुकता दोनों से भरा है, क्योंकि इस बार आधी से ज्यादा सीटों का आरक्षण बदलने की संभावना जताई जा रही है।

पंचायती राज विभाग से रिपोर्ट तलब

शासन ने पंचायत आरक्षण तय करने के लिए पंचायती राज विभाग से पिछले चुनाव के आरक्षण की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। रामपुर के डीपीआरओ एनएल गंगवार ने बताया कि जिलों से सारी जानकारी इकट्ठा करके शासन को भेज दी गई है। अब अंतिम निर्णय शासन स्तर पर होगा। इसी बीच कई दावेदार आरक्षण की आशंका को देखते हुए अपनी चुनावी रणनीति को नए सिरे से तैयार कर रहे हैं। प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य पद के संभावित दावेदार अपने-अपने क्षेत्र में समीकरण साधने में जुट गए हैं।

इस बार काफी बदलेगा आरक्षण नए चेहरे आएंगे सामने

सूत्रों का मानना है कि इस बार बड़ी संख्या में सीटों पर आरक्षण बदल सकता है। कई पुराने चेहरों की दावेदारी कमजोर पड़ेगी, नए लोगों को मौका मिलेगा, गाँवों की राजनीति में नए गठजोड़ बनेंगे। आरक्षण निर्धारित करते समय 2011 की जनगणना को आधार माना जाएगा। पहले ही जिला स्तरीय समिति समीक्षा कर चुकी है और इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेज दी गई है।

पंचायत चुनाव आरक्षण को लेकर कब साफ होगी तस्वीर?

आरक्षण को लेकर स्थिति जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में स्पष्ट होने की उम्मीद है। इसके बाद पूरे प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारी पूरी रफ्तार से शुरू हो जाएगी। हालांकि अभी पिछड़े वर्ग की रिपोर्ट को लेकर प्रक्रिया अटकी हुई है, जिससे अंतिम घोषणा में देरी हो रही है।

शासन की ओर से साफ किया गया है कि जब तक समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग गठित नहीं हो जाता, तब तक पंचायतों में प्रशासक नहीं बैठाए जाएंगे। सरकार चाहती है कि आरक्षण बिना किसी भेदभाव के लागू किया जाए, ताकि सभी वर्गों को न्याय मिल सके।

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