बिहार में 'शिक्षकों' को खुशखबरी, नई नियमावली होगी लागू!

पटना: बिहार सरकार ने राज्यभर के शिक्षकों को नए साल पर बड़ा उपहार देने की तैयारी शुरू कर दी है। लंबे समय से लंबित शिक्षक स्थानांतरण नीति को शिक्षा विभाग अंतिम रूप दे रहा है। नई नियमावली के लागू होते ही लगभग छह लाख शिक्षकों को स्थानांतरण की स्पष्ट, पारदर्शी और व्यवस्थित प्रक्रिया का लाभ मिल सकेगा।

पुरानी व्यवस्था से बढ़ रही थी दिक्कतें

पिछले कई वर्षों से तबादले के लिए एक समान और स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। बार-बार अलग-अलग आदेश जारी होने से भ्रम की स्थिति बनी रहती थी। कई मामलों में विवाद बढ़कर अदालत तक पहुंच गए, जिससे शिक्षा विभाग पर कानूनी मामलों का बोझ भी बढ़ा। तबादले की अस्पष्ट प्रक्रिया से स्कूलों की शैक्षिक व्यवस्था प्रभावित हो रही थी।

नए नियम से मिलेगी स्पष्टता और सुविधा

शिक्षा विभाग अब एक सुसंगत और व्यावहारिक तबादला नीति तैयार कर रहा है, जिसमें शिक्षकों की सुविधा को प्राथमिकता दी जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार संशोधित नियमावली को आने वाले एक महीने में कैबिनेट के समक्ष भेजा जाएगा। शिक्षक संगठनों द्वारा जताई गई आपत्तियों पर भी विस्तृत चर्चा की जा रही है, ताकि सबकी सहमति से नीति लागू हो सके।

ऑनलाइन प्रक्रिया से पारदर्शिता बढ़ेगी

नई व्यवस्था के तहत पूरे तबादला सिस्टम को डिजिटल बनाया गया है। शिक्षकों को केवल ऑनलाइन आवेदन देना होगा। कागजी फॉर्म या ऑफलाइन प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। प्राप्त आवेदनों का computerized scrutiny कर निर्णय लिया जाएगा। इससे न केवल समय बचेगा बल्कि अनावश्यक विवादों में भी कमी आएगी।

पांच साल की न्यूनतम सेवा अनिवार्य

नियमावली में यह स्पष्ट किया जा रहा है कि नियुक्ति के पांच वर्ष पूरे होने से पहले शिक्षक तबादले के पात्र नहीं होंगे। केवल गंभीर बीमारी, विशेष परिस्थिति या अन्य महत्वपूर्ण कारणों पर ही अपवाद लागू होगा। यह प्रावधान इसलिए किया जा रहा है ताकि स्कूलों में शिक्षकों की निरंतरता बनी रहे और बार-बार होने वाले तबादलों से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

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