इस कदम का उद्देश्य पेंशन फंड के पोर्टफोलियो में विविधता लाना और जोखिम-समायोजित रिटर्न बढ़ाना बताया गया है। नियामक ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी एक जोखिमभरे एसेट का हिस्सा पोर्टफोलियो में अत्यधिक न हो। यह नियम सरकारी और निजी दोनों प्रकार की पेंशन योजनाओं पर लागू होगा, जिससे सरकारी कर्मचारी, रिटेल निवेशक और बड़े निवेशक इसका लाभ उठा सकेंगे।
नए निवेश विकल्प
नए मास्टर सर्कुलर में इक्विटी, ऋण और अल्पावधि निवेश माध्यमों के लिए निवेश सीमा तय की गई हैं। पोर्टफोलियो में सोना और चांदी जैसी स्थिर संपत्तियों को शामिल किया जाएगा, जो अस्थिर बाजार स्थितियों में स्थिरता प्रदान करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ईटीएफ के माध्यम से सोने और चांदी में निवेश करने से रिटर्न प्रोफाइल और जोखिम प्रबंधन दोनों बेहतर होंगे।
जोखिम प्रबंधन पर जोर
किसी एक इंडस्ट्री में कुल निवेश 15% से अधिक नहीं हो सकेगा। प्रायोजक समूह कंपनियों में 5% और गैर-प्रायोजक कंपनियों में 10% की सीमा तय की गई है। ऋण निवेश में भी नेट वर्थ आधारित सीमाएं लागू होंगी।
निफ्टी 250 से विस्तारित निवेश अवसर
इक्विटी निवेश की सीमा 25% रखी गई है, लेकिन निफ्टी 250 सूचकांक में निवेश की अनुमति से पेंशन फंड अब बड़ी और मध्यम कंपनियों में निवेश कर सकेंगे। इसके साथ ही शीर्ष 200 शेयरों में 90% निवेश की बाध्यता बरकरार रहेगी।
सरकारी प्रतिभूतियां निवेश का आधार
सरकारी बॉन्ड्स अब भी एनपीएस का मुख्य आधार बने रहेंगे। पेंशन फंड पोर्टफोलियो का 65% तक निवेश केंद्र और राज्य सरकार की सिक्योरिटीज तथा पीएसयू बॉन्ड्स में रख सकेंगे। इससे लंबी अवधि की सुरक्षा और अनुमानित रिटर्न सुनिश्चित होगा।
नवीन निवेश ढांचा निवेशकों के लिए लाभकारी
नए निवेश विकल्पों के जुड़ने से पेंशन योजनाओं का निवेश ढांचा और विविधतापूर्ण हो गया है। लंबी अवधि में जोखिम कम करने और रिटर्न क्षमता बढ़ाने के लिहाज से यह बदलाव निवेशकों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है।

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