बिहार में ड्रोन खरीदने पर 3.65 लाख की सब्सिडी

पटना: बिहार सरकार किसानों के लिए कृषि में ड्रोन तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। राज्य के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने हाल ही में घोषणा की कि केंद्र सरकार के सहयोग से बिहार में कृषि कार्यों में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए 60 प्रतिशत या अधिकतम 3.65 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। यह योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत सभी 101 अनुमंडलों में लागू होगी, जिससे किसानों को आधुनिक तकनीकों का लाभ मिलेगा।

मंगल पांडेय ने इस योजना के तहत किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए वित्तीय सहायता की जानकारी देते हुए बताया कि यह कदम किसानों को स्मार्ट खेती की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक पारंपरिक खेती के तरीकों को बदलने के साथ-साथ कृषि कार्यों में सटीकता और दक्षता लाने में मददगार साबित हो रही है। ड्रोन के माध्यम से किसानों को पौधों पर कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव सटीकता से किया जा सकता है, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ कृषि लागत में भी कमी आ सकती है।

कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को कृषि भवन परिसर में एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसमें कृषि में ड्रोन की उपयोगिता को प्रदर्शित किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक से भारतीय कृषि में तीव्र गति से विकास हुआ है। किसानों द्वारा इस नई तकनीक का उपयोग करने से न केवल उत्पादकता बढ़ी है, बल्कि फसलों की निगरानी और भूमि का विश्लेषण करने में भी आसानी हो रही है।

इसके साथ ही, केंद्र सरकार की ओर से महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए "नमो ड्रोन दीदी" योजना भी शुरू की गई है। इस योजना के तहत जीविका के महिला समूहों को 201 ड्रोन वितरण किए जाएंगे। सरकार ने इस योजना के लिए 1261 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। यह पहल महिला किसानों को सशक्त बनाने और कृषि क्षेत्र में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

कृषि मंत्री ने बताया कि ड्रोन तकनीक की मदद से किसानों को भूमि की उर्वरता का विश्लेषण करने और फसलों की निगरानी में भी आसानी हो रही है। इसके अलावा, कृषि कार्यों में समय की बचत और अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकता है। ड्रोन का उपयोग कृषि कार्यों में न केवल उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसमें कीटनाशकों और उर्वरकों का सटीक रूप से छिड़काव किया जाता है, जिससे अनावश्यक रसायनों का उपयोग कम होता है।

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