MIRV तकनीक के विकास में प्रमुख देश
1 .अमेरिका: अमेरिका ने MIRV तकनीक का विकास 1960 के दशक के अंत में किया। अमेरिकी रक्षा विभाग ने इसे अपने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों में लागू किया, जिससे यह देश दुनिया का पहला देश बन गया, जिसने इस तकनीक को अपनी मिसाइलों में इस्तेमाल किया। अमेरिका का “Minuteman III” ICBM और “LGM-30G” MIRV-युक्त मिसाइल इसका उदाहरण हैं।
2 .चीन: चीन भी MIRV तकनीक का उपयोग करने वाले देशों में शामिल है। चीन ने इसे अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने और विभिन्न वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनाया है। चीन की DF-5 और DF-31 मिसाइलें MIRV तकनीक से लैस हैं।
3 .ब्रिटेन: ब्रिटेन के पास भी MIRV तकनीक है, विशेष रूप से उसकी "Trident II D5" मिसाइल प्रणाली में, जो ब्रिटिश रॉयल नेवी के परमाणु पनडुब्बियों से लॉन्च होती है। यह मिसाइल प्रणाली परमाणु वारहेड्स को लक्षित करने के लिए MIRV का उपयोग करती है।
4 .फ्रांस: फ्रांस ने भी MIRV तकनीक को अपनी रणनीतिक मिसाइल प्रणालियों में शामिल किया है। फ्रांस की "M51" मिसाइल, जो फ्रांसीसी परमाणु पनडुब्बियों से प्रक्षिप्त होती है, MIRV तकनीक से लैस है। यह मिसाइल प्रणाली किसी भी परमाणु हमले का प्रभावी जवाब देने की क्षमता रखती है।
5 .रूस: रूस के पास MIRV तकनीक का विकास और इस्तेमाल लंबे समय से है। रूस की "RS-28 Sarmat" मिसाइल एक उदाहरण है, जो MIRV के साथ कई लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता रखती है। रूस के पास ऐसी कई मिसाइल प्रणालियाँ हैं, जो MIRV से लैस हैं, और यह उसकी परमाणु क्षमताओं को बढ़ाता है।
6 .भारत: भारत ने भी अपनी मिसाइलों में MIRV तकनीक को शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत की "Agni-V" और "Agni-VI" मिसाइलों को MIRV तकनीक से लैस किया गया है।
पाकिस्तान और MIRV तकनीक: पाकिस्तान ने भी दावा किया है कि उसकी "Ababeel" मिसाइल MIRV तकनीक से लैस है। हालांकि, पाकिस्तान की इस दावे की स्वतंत्र जांच या पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान भी अपनी मिसाइल प्रणालियों में उन्नति करने की दिशा में काम कर रहा है।
उत्तर कोरिया का दावा: उत्तर कोरिया ने भी MIRV तकनीक का सफल परीक्षण करने का दावा किया है। हालांकि, उत्तर कोरिया के दावे को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में संदेह की स्थिति है, क्योंकि इस देश के पास इस प्रकार की उन्नत तकनीक को विकसित करने के लिए आवश्यक संसाधन और विशेषज्ञता की कमी मानी जाती है।
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