डोनाल्ड ट्रंप के कड़े कदम
डोनाल्ड ट्रंप जो 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, ने पहले ही चुनाव प्रचार के दौरान यह स्पष्ट किया था कि वह चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाएंगे। व्यापार को लेकर उनकी नीति में बदलाव आने की संभावना है, और चीन पर आयात शुल्क (टैरिफ) को बढ़ाया जा सकता है। इससे चीन की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को और भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि अमेरिका की बड़ी मार्केट के लिए चीन पर निर्भरता काफी अधिक है। ट्रंप के इस फैसले का चीन पर गहरा असर पड़ने वाला है, खासकर जब से चीन की आर्थिक वृद्धि पहले ही धीमी हो चुकी है।
चीन के लिए एक बड़ा झटका
अगर ट्रंप चीन पर टैरिफ शुल्क बढ़ाते हैं तो इससे न केवल चीन के निर्यातकों को नुकसान होगा, बल्कि यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी प्रभावित कर सकता है। चीन पहले ही वैश्विक मंदी और महामारी के बाद आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में यदि अमेरिका ने अपने कदम और कड़े किए तो चीन की स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके परिणामस्वरूप चीन में स्थित कई कंपनियाँ अपने कारख़ाने और उत्पादन सुविधाएँ अन्य देशों में शिफ्ट करने का विचार कर सकती हैं।
भारत के लिए एक मौका
एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में उत्पादन करने वाली दुनिया की कई बड़ी कंपनियाँ भारत को एक बेहतर विकल्प के रूप में देख सकती हैं। भारत के पास चीन की तुलना में कम लागत पर श्रम, एक बड़ा उपभोक्ता बाजार, और मोदी सरकार द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं के तहत व्यापारिक वातावरण को अनुकूल बनाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। इसके साथ ही, भारत का निवेश माहौल और कारोबारी सुधार भी चीन के मुकाबले अधिक आकर्षक हो सकता है।
चीन का बचाव: नया आर्थिक पैकेज
चीन ट्रंप के कड़े फैसले से बचने के लिए हाल ही में अपने आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देना और व्यापारिक माहौल को सुदृढ़ करना था। इस पैकेज में सुधारात्मक उपाय और प्रोत्साहन योजनाएँ शामिल हैं, जो व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि क्या ये कदम ट्रंप के कड़े फैसलों के प्रभाव को कम करने में सक्षम होंगे, या फिर यह चीन को और अधिक कमजोर कर देंगे।
0 comments:
Post a Comment