बता दें की यह उपकरण 3 से 10 साल तक काम करता है, और इसका प्रभावी तरीका यह है कि यह अंडाणु को निषेचन से रोकता है और गर्भाशय में अंडाणु के घुसने या इन्सीट्रेशन को रोकता है। जिससे महिलाएं गर्भवती नहीं हो पाती हैं।
वहीं, कॉपर-टी लगवाने से पहले, महिला को एक डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर गर्भाशय की स्थिति की जांच करने के लिए कुछ टेस्ट जैसे पैप स्मीयर और अल्ट्रासाउंड कर सकते हैं। यह सुनिश्चित किया जाता है कि महिला को गर्भाशय के स्वास्थ्य से संबंधित कोई समस्या तो नहीं है।
कॉपर-टी का स्थान: कॉपर-टी गर्भाशय के भीतर डाला जाता है, और यह गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) के पास स्थित होता है। यह सर्पिल के आकार का होता है और तांबे की तारों से बना होता है, जो शुक्राणुओं को निष्क्रिय करने में मदद करता है और गर्भाशय में किसी भी संभावित गर्भधारण को रोकता है।
कॉपर-टी के फायदे:
यह एक दीर्घकालिक गर्भनिरोधक उपाय है।
यह गर्भधारण को रोकने में 99% तक प्रभावी होता है।
इसे एक बार लगाने के बाद कई वर्षों तक कोई और उपाय करने की जरूरत नहीं होती।
यह हार्मोनल नहीं होता, इसलिए शरीर पर हार्मोनल दवाओं के साइड इफेक्ट्स नहीं होते।
0 comments:
Post a Comment