यूपी में महिलाओं की संख्या बढ़ी, प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में महिला-पुरुष लिंग अनुपात में एक ऐतिहासिक सुधार देखने को मिला है, और यह सुधार योगी सरकार की नीतियों, योजनाओं और जागरूकता अभियानों का परिणाम है। प्रदेश में अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं, जो लिंग समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है। यह आंकड़ा न केवल समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने की ओर संकेत करता है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि सरकार ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।

कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी काबू

प्रत्येक समाज में लिंग आधारित भेदभाव और कन्या भ्रूण हत्या एक गंभीर समस्या रही है। लेकिन, योगी सरकार की योजनाओं और जागरूकता अभियानों ने इस समस्या को काफी हद तक सुलझाया है। कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी नियंत्रण पाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप लिंग अनुपात में यह सुधार देखा गया है। सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया और लोगों को समझाया कि बेटियों को जीवन में समान अवसर मिलना चाहिए। इन प्रयासों के फलस्वरूप, प्रदेश में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, और यह आंकड़े इसकी गवाह हैं।

योजनाओं और अभियानों का प्रभाव

योगी सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई योजनाओं का कार्यान्वयन किया है। इनमें प्रमुख योजनाएं जैसे "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ", "मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना", और "प्रधानमंत्री आवास योजना" शामिल हैं। इन योजनाओं ने बेटियों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं, जिससे समाज में उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। इसके साथ ही, "महिला सहायता हेल्पलाइन" जैसी सेवाओं ने महिलाओं को अधिकारों की जानकारी देने में मदद की और उनके खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर कड़ी नज़र रखी।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अंतर

आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में प्रति 1000 पुरुषों पर 985 महिलाएं हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 1037 तक पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला-पुरुष लिंग अनुपात में काफी सुधार हुआ है, जो कि सरकार की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन का परिणाम है। ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने और उनके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा की सुविधाओं को बढ़ाने में सरकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

समाज की मानसिकता में बदलाव

सरकार की योजनाओं और अभियानों ने न केवल सरकारी आंकड़ों को बेहतर किया, बल्कि समाज की मानसिकता में भी बदलाव लाया है। अब समाज में यह समझ बन चुकी है कि बेटियों को समान अधिकार और अवसर दिए जाएं। समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़ा है और उनके खिलाफ होने वाली हिंसा, भेदभाव और असमानता को रोकने के लिए समाज में जागरूकता आई है।

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