बिहार में भूमि सर्वे के लिए स्वघोषणा फॉर्म 31 मार्च तक भरें!

पटना: बिहार सरकार ने राज्य में भूमि सर्वे के कार्य को गति देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिसमें 31 मार्च 2025 तक जमीन सर्वे के दूसरे चरण के लिए रैयतों को स्वघोषणा करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। इस प्रक्रिया के तहत, रैयतों को अपनी जमीन से जुड़ी जानकारी स्वघोषणा के रूप में प्रदान करनी होगी, ताकि भूमि के रिकॉर्ड को ठीक से अपडेट किया जा सके।

स्वघोषणा क्या है?

स्वघोषणा एक ऐसा विधिक प्रक्रिया है, जिसमें रैयत अपनी भूमि के संबंध में सभी आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करता है। इस प्रक्रिया में, रैयत को अपनी जमीन की खरीद, खतियान, वंशावली, बंटवारा आदि की जानकारी देनी होती है। यह जानकारी सर्वे के दौरान भूमि के रिकॉर्ड को सही करने और उसे अद्यतन करने के लिए महत्वपूर्ण होती है। स्वघोषणा की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए बिहार सरकार ने इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से लागू किया है, ताकि हर रैयत इसे अपनी सुविधानुसार पूरा कर सके।

स्वघोषणा फॉर्म:

प्रपत्र 2: इस फॉर्म में रैयत को अपनी भूमि से संबंधित विभिन्न विवरण दर्ज करने होते हैं, जैसे भूमि की खरीद, उसका स्वामित्व, बंटवारा आदि।

प्रपत्र 3(1): इस फॉर्म में रैयत को अपनी वंशावली और भूमि के अन्य कानूनी पहलुओं से संबंधित जानकारी देनी होती है।

ऑनलाइन-ऑफलाइन:

रैयत अपने विवरण को आसानी से भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय की वेबसाइट पर जाकर अपलोड कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से समय की बचत होती है और रैयत घर बैठे यह कार्य कर सकते हैं। वहीं ऑफलाइन प्रक्रिया के लिए रैयत सर्वे शिविरों में जाकर इन प्रपत्रों को जमा कर सकते हैं। इससे उन लोगों को सुविधा मिलती है, जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है।

बिहार सरकार की योजना

बिहार सरकार का लक्ष्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे कार्यों को तेजी से पूरा किया जाए और शहरी क्षेत्रों में भी सर्वे की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए। इसके लिए राज्य सरकार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे सर्वे कार्यों को शीघ्र और प्रभावी तरीके से पूरा करें, ताकि भूमि के संबंध में कोई भी विवाद या समस्या न रहे। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए, विभाग ने 31 मार्च 2025 तक रैयतों से स्वघोषणा लेने का लक्ष्य रखा है।

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