1. जॉर्डन के किंग को मदद रोकने की धमकी
11 फरवरी को जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह व्हाइट हाउस में ट्रम्प से मिले, और यहां उन्होंने जो किया, वह सामान्य कूटनीतिक व्यवहार से बिल्कुल अलग था। ट्रम्प ने किंग अब्दुल्लाह से साफ तौर पर कहा कि अगर वे गाजा में अमेरिकी योजना के खिलाफ जाते हैं, तो अमेरिका अपनी मदद रोक देगा। यह बयान इस बात का संकेत था कि ट्रम्प किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद में अपनी स्थिति को मजबूती से लागू करने के लिए तैयार हैं। किंग अब्दुल्लाह ने इस पर विवाद नहीं खड़ा किया और संयमित तरीके से जवाब दिया, लेकिन बाद में उन्होंने ट्रम्प की योजना का विरोध किया, यह दिखाता है कि ट्रम्प की कड़ी नीति के बावजूद, अन्य नेता भी अपनी राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पीछे नहीं हटते।
2. भारत के प्रधानमंत्री को टैरिफ की धमकी
14 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्हाइट हाउस में हुई बैठक ने भी ट्रम्प के आक्रामक रवैये को स्पष्ट किया। ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी से साफ शब्दों में कहा कि यदि भारत अपनी टैरिफ नीति में बदलाव करता है, तो अमेरिका भी उसी स्तर पर जवाब देगा। भारत और अमेरिका के रिश्ते पहले से ही कई मुद्दों के कारण तनावपूर्ण थे, और ट्रम्प ने इस अवसर को अपने विचारों को लागू करने के लिए इस्तेमाल किया। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी कोशिश की कि इस बैठक में कोई विवाद न हो और दोनों पक्षों ने यह तय किया कि कुछ महीनों में इस मुद्दे पर एक समझौता हो जाएगा। लेकिन यह घटना ट्रम्प के कूटनीतिक रुख को स्पष्ट करती है, जहां वे किसी भी चर्चा में अपनी शर्तों को प्रमुखता देने में संकोच नहीं करते।
3. फ्रांस के राष्ट्रपति से उलझ गए ट्रम्प
24 फरवरी को जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों व्हाइट हाउस आए, तो ट्रम्प ने उन्हें सीधे चुनौती दी। ओवल ऑफिस में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, ट्रम्प ने यूक्रेन को वित्तीय मदद देने के मामले में यूरोप और अमेरिका के बीच भिन्नताएं सामने रखी। ट्रम्प ने दावा किया कि अमेरिका ने 'असल पैसा' दिया है, जबकि यूरोप ने केवल उधार दिया है। मैक्रों ने इसका विरोध किया और स्पष्ट किया कि यूरोप ने इस युद्ध में 60% खर्च किया है। हालांकि ट्रम्प ने अपनी बात को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया कि ट्रम्प अपनी कूटनीतिक रणनीति में बेहद निडर और स्पष्ट हैं।
4. ब्रिटिश प्रधानमंत्री से सीधे सवाल
27 फरवरी को ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ मुलाकात के दौरान ट्रम्प ने एक सीधा सवाल पूछा: "क्या आप अकेले रूस का मुकाबला कर पाएंगे?" यह सवाल ब्रिटिश प्रधानमंत्री के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला था। जब एक रिपोर्टर ने कनाडा के बारे में सवाल पूछा, तो ट्रम्प ने तुरंत अपनी बातचीत रोक दी और रिपोर्टर को कड़ा जवाब दिया। ट्रम्प का यह आक्रामक रवैया यह दर्शाता है कि वे किसी भी सवाल से बचने के बजाय, अपनी स्थिति को स्पष्ट करना पसंद करते हैं।
5 .ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच तीखी बहस:
28 फरवरी को जब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की व्हाइट हाउस पहुंचे, तो उनका स्वागत उम्मीदों और शालीनता से हुआ। ओवल ऑफिस में आयोजित जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत विनम्रतापूर्वक हुई, जहां दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से सम्मानपूर्वक बातचीत की। हालांकि, इस दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के यूक्रेन युद्ध पर ऐसी बहस हुई जो दुनिया को चौका दिया।
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