नदियों की सूखने की वजहें
नदियों का सूखना एक प्राकृतिक और मानवीय कारणों का मिश्रण है। सबसे बड़ा कारण नदी के मार्ग में अवरोध और गाद का जमाव है। पिछले चार दशकों में बिहार की नदियों की गाद की सफाई का कोई प्रभावी प्रयास नहीं हुआ है। गंडक, खनुआ, वाणगंगा, सोना, छाड़ी, धमई, स्याही, और घोघारी जैसी नदियों में गाद की अधिकता ने इन नदियों के प्रवाह को बाधित किया है। इस कारण इन नदियों का जलस्तर घट गया है, और गर्मी के मौसम में ये नदियां सूखने लगी हैं। गाद की सफाई का प्लान जरूर बनाया गया था, लेकिन यह धरातल पर नहीं उतर सका।
जलवायु परिवर्तन और मानव हस्तक्षेप
जलवायु परिवर्तन ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। जहां एक ओर बारिशों की मात्रा कम हो रही है, वहीं दूसरी ओर नदी के जल स्रोतों की विकृति भी बढ़ रही है। अनियंत्रित शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण नदियों में गंदगी और प्रदूषण का स्तर बढ़ा है, जिससे इन नदियों का जल बहाव प्रभावित हो रहा है। इसके अतिरिक्त, नदी किनारे अवैध खनन, बांधों का निर्माण, और जल स्रोतों का अत्यधिक दोहन भी नदी के जलस्तर को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण बन गए हैं।
भू-जल स्तर में तेजी से गिरावट
बिहार के गोपालगंज जिले में पानी की समृद्धि के दिनों में नदियों का भरपूर पानी भू-जल को रिचार्ज करता था, जिससे जलस्तर ऊंचा रहता था। लेकिन अब गर्मी के महीनों में नदियों का सूखना, भू-जल स्तर में गिरावट का कारण बन रहा है। 20 फीट की गहराई पर पीने योग्य पानी उपलब्ध होने का जो हाल था, वह अब केवल अतीत की बात बन चुका है।
नदियों का सूखना और भू-जल स्तर में गिरावट के कारण पीने का पानी कम हो रहा है। यह स्थिति एक ओर जल संकट का संकेत देती है, जो न केवल गोपालगंज, बल्कि पूरे बिहार के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। यह संकट मुख्य रूप से कृषि, जल आपूर्ति, और पर्यावरणीय असंतुलन को प्रभावित कर रहा है।
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