बिहार में 7 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ FIR, कई रडार पर

न्यूज डेस्क: बिहार के समस्तीपुर जिले में शिक्षक नियोजन में बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें सात फर्जी शिक्षक और शिक्षिकाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने विभूतिपुर थाना में विभिन्न मामलों में जांच शुरू की है। यह घोटाला बिहार के शिक्षा प्रणाली में गंभीर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करता है, जहां अधिकारियों और शिक्षक नियोजन इकाई के कुछ सदस्यों ने फर्जी टीईटी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करके अपनी नियुक्ति सुनिश्चित की थी।

घोटाले का विवरण

इस घोटाले में आरोपित फर्जी शिक्षक और शिक्षिकाओं का नाम उस मेधा सूची में दर्ज किया गया, जिसमें उनका वास्तविक नाम और पात्रता नहीं थी। यह मामला वर्ष 2012 से 2014 के शिक्षक नियोजन से जुड़ा हुआ है। नियोजन प्रक्रिया के दौरान, बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर), डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी), और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी टीईटी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया गया। इस प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी करते हुए इन शिक्षकों का चयन किया गया और उन्हें वेतन भी दिया गया।

आरोपितों का विवरण

1 .नवीन कुमार - आरोपित फर्जी शिक्षक, जो बेगुसराय जिले के निवासी हैं। उन्होंने सिंघिया बुजुर्ग उत्तर पंचायत के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से इस्तेमाल किया।

2 .सूरज कुमार - मुजफ्फरपुर जिले के निवासी और एक और फर्जी शिक्षक, जिसने चकहबीब पंचायत के शिक्षक का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से उपयोग किया।

3 .सुजीता कुमारी - बेगुसराय जिले की शिक्षिका, जिसने सिंघिया बुजुर्ग उत्तर पंचायत के शिक्षक का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से इस्तेमाल किया।

4 .सोनी कुमारी - हसनपुर थाना क्षेत्र की शिक्षिका, जिन्होंने एक और फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग किया और जाति प्रमाण पत्र में भी गड़बड़ी की।

5 .संगीता कुमारी - बेगुसराय जिले की फर्जी शिक्षिका, जिन्होंने एक अन्य शिक्षिका का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से इस्तेमाल किया।

6 .प्रतिभा कुमारी - बेगुसराय जिले की एक शिक्षिका, जिन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाई।

7 .अंजली कुमारी - विभूतिपुर थाना क्षेत्र की फर्जी शिक्षिका, जिसने फर्जी टीईटी प्रमाण पत्र का उपयोग किया।

नियोजन में अनियमितताएं

इन सभी मामलों में यह स्पष्ट हो रहा है कि नियोजन प्रक्रिया में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है। नियोजन इकाई के अधिकारियों ने ना केवल फर्जी प्रमाण पत्रों को स्वीकार किया, बल्कि उनका वेतन भी जारी किया। इस तरह की अनियमितताएं शिक्षा के स्तर को गिराने के साथ-साथ गरीब और योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

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