भारत के लेजर गाइडेड बम से दुश्मनों में खोफ, जानें इसकी ताकत?

नई दिल्ली: भारत ने रक्षा क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। सुदर्शन, भारत का पहला स्वदेशी लेजर-गाइडेड बम (LGB) किट, इस दिशा में एक अहम योगदान है। इस बम को भारतीय वायुसेना द्वारा हवा से जमीन पर सटीक बमबारी के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत का यह लेजर-गाइडेड बम अब देश की सैन्य ताकत को और अधिक मजबूत करता है

लेजर गाइडेड बम क्या है?

लेजर गाइडेड बमों को स्मार्ट बम कहा जाता है, क्योंकि वे टार्गेट की लेजर सिग्नल्स का पता लगाकर सटीकता से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। इन बमों को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि ये अपने लक्ष्य को किसी भी बाहरी गड़बड़ी के बावजूद सटीक रूप से निशाना बनाते हैं। ये बम पारंपरिक डंब बमों की तुलना में ज्यादा सटीक होते हैं, जिससे युद्ध के मैदान में नुकसान कम होता है और लक्ष्य को अधिक प्रभावी तरीके से नष्ट किया जा सकता है।

सुदर्शन: भारत का स्वदेशी लेजर गाइडेड बम

सुदर्शन भारत का पहला स्वदेशी लेजर गाइडेड बम है। इसे भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत स्थित एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADE) द्वारा विकसित किया गया है। इस किट का मुख्य उद्देश्य 450 किलोग्राम (1000 पाउंड) वर्ग के गूंगे बमों की सटीकता में सुधार करना है। इसके लिए इसे एक उन्नत लेजर मार्गदर्शन प्रणाली से जोड़ा गया है।

सुदर्शन किट के निर्माण में भारतीय उद्योगों ने भी अहम भूमिका निभाई है। इससे न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई है, बल्कि भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी की दिशा में भी एक बड़ा कदम बढ़ाया गया है। यह तकनीक भारतीय वायुसेना को अधिक सटीक और प्रभावी हमले करने की क्षमता प्रदान करती है।

सुदर्शन की ताकत: दुश्मनों में खौफ का महौल

सुदर्शन किट के विकास के बाद, भारतीय वायुसेना अब अपनी मौजूदा बमों को अधिक सटीकता के साथ इस्तेमाल करने में सक्षम हो गई है। इसके लेजर गाइडेड सिस्टम के कारण बम अपने लक्ष्य को बेहद सटीक तरीके से साधता है, इसके अलावा, यह बम छोटे लक्ष्यों पर भी निशाना साधने में सक्षम है, जिससे युद्ध के दौरान अन्य सैन्य साधनों की मदद से सटीक हमले किए जा सकते हैं।

भारत के पास अब इस तकनीक के माध्यम से युद्ध की रणनीति में बदलाव करने की क्षमता है। लेजर गाइडेड बम दुश्मन की रक्षा पंक्तियों को तोड़ने में कारगर साबित होते हैं, और इसकी सटीकता न केवल लक्ष्य को नष्ट करने में मदद करती है बल्कि युद्ध के मैदान में कम से कम संसाधनों का उपयोग भी सुनिश्चित करती है।

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