पति-पत्नी का ब्लड ग्रुप सेम हो तो क्या होगा? डॉक्टर से जानें

हेल्थ डेस्क: जब पति-पत्नी का ब्लड ग्रुप समान होता है, तो आमतौर पर इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता। लेकिन, कुछ विशिष्ट मामलों में, जैसे कि Rh इनकम्पैटिबिलिटी (Rh incompatibility), स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस हेल्थ रिपोर्ट में हम आपको ब्लड ग्रुप के मेल-जोल और गर्भावस्था में इसके प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

1. समान ब्लड ग्रुप होने से कोई आम समस्या नहीं होती

अगर पति-पत्नी का ब्लड ग्रुप समान है, तो आमतौर पर इसमें कोई गंभीर समस्या नहीं होती। इसका सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता। ब्लड ग्रुप A, B, AB, और O का कोई खास आपसी संबंध नहीं होता जो गर्भावस्था या संतान के स्वास्थ्य पर असर डाले। हालांकि, अगर Rh ग्रुप में असमर्थता हो, तो कुछ जटिलताएं हो सकती हैं।

2. Rh इनकम्पैटिबिलिटी और गर्भावस्था में जटिलताएं

जब एक महिला का Rh ग्रुप नेगेटिव (Rh-) होता है और पुरुष का Rh ग्रुप पॉजिटिव (Rh+) होता है, तो गर्भावस्था में Rh इनकम्पैटिबिलिटी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह तब होता है जब गर्भवती महिला के शरीर में Rh पॉजिटिव बच्चे के रक्त का कुछ हिस्सा प्रवेश करता है। इस स्थिति में महिला का शरीर एंटीबॉडी का निर्माण कर सकता है, जो भविष्य में किसी भी Rh पॉजिटिव बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

Rh इनकम्पैटिबिलिटी का प्रभाव:

गर्भावस्था के दौरान यदि Rh- महिला का रक्त और Rh+ बच्चे का रक्त मिल जाता है, तो महिला का शरीर उस रक्त को अजनबी मान सकता है और उसे बाहर निकालने के लिए एंटीबॉडी तैयार कर सकता है। यदि यह एंटीबॉडी अगले गर्भवती बच्चे के रक्त के साथ संपर्क में आती हैं, तो उस बच्चे को खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि एनीमिया (रक्त की कमी) या अधिक गंभीर स्थिति, जिसे हेमोलिटिक डिजीज ऑफ न्यूबॉर्न (HDN) कहा जाता है।

3. Rh इनकम्पैटिबिलिटी का इलाज: एंटी-D इमुनोग्लोबुलिन

Rh इनकम्पैटिबिलिटी को रोकने के लिए उपचार उपलब्ध है। यदि महिला Rh- है, तो गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद उसे एंटी-D इमुनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन दिया जा सकता है। यह इंजेक्शन महिला के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी को रोकने का काम करता है, जिससे अगले गर्भवती बच्चे पर कोई असर नहीं पड़ता। इस इंजेक्शन को आमतौर पर 28 सप्ताह की गर्भावस्था और प्रसव के बाद 72 घंटे के भीतर दिया जाता है।

4. अन्य जेनेटिक समस्याएं

समान ब्लड ग्रुप होने से कुछ स्थितियों में जेनेटिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन ये बहुत दुर्लभ हैं। ब्लड ग्रुप का जीन मुख्यतः रक्त के प्रकार को प्रभावित करता है, और ये जीवन के अन्य पहलुओं, जैसे कि स्वास्थ्य या शारीरिक विशेषताओं पर खास असर नहीं डालता। हालांकि, अगर दोनों माता-पिता में किसी एक विशेष जेनेटिक समस्या का इतिहास है, तो इसे ध्यान में रखना जरूरी हो सकता है।

5. ब्लड ग्रुप टेस्ट क्यों जरूरी है?

गर्भावस्था के दौरान ब्लड ग्रुप का टेस्ट कराना बहुत जरूरी है। इससे Rh इनकम्पैटिबिलिटी जैसी समस्या की पहचान जल्दी हो सकती है और उपचार की दिशा में सही कदम उठाए जा सकते हैं। डॉक्टर हमेशा सलाह देंगे कि एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिए, यह टेस्ट आवश्यक है ताकि किसी भी प्रकार की जटिलता से बचा जा सके।

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