फीस नियमन में बड़ा निर्णय
विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया कि निजी व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश और फीस विनियमन से जुड़े प्रावधानों के तहत यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। पहले से गठित प्रवेश एवं फीस नियमन समिति की बैठक 29 अगस्त 2025 को हुई थी, जिसमें बीबीए और बीसीए कोर्सों की फीस पर चर्चा की गई थी। अब शासन ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए अंतिम रूप दे दिया है।
कानूनी प्रावधानों के तहत फीस निर्धारण
फीस तय करने की प्रक्रिया निम्न अधिनियमों और नियमावलियों के अंतर्गत पूरी की गई। उत्तर प्रदेश निजी व्यावसायिक शैक्षणिक संस्था अधिनियम-2006, गठन नियमावली-2008, विनियमावली-2015, इन प्रावधानों के तहत सरकार को निजी कॉलेजों की फीस संरचना की समीक्षा करने और आवश्यकतानुसार मानक निर्धारण का अधिकार प्राप्त है।
निजी संस्थानों की मनमानी पर रोक
अभी तक कई निजी कॉलेज 45,000 से 70,000 रुपये प्रति वर्ष तक फीस वसूल रहे थे। इसके कारण छात्रों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा था। संयुक्त सचिव प्रभाकर चंद्र मिश्र के अनुसार, अब निर्धारित की गई मानक फीस केवल सत्र 2025-26 के लिए लागू होगी। इस कदम से निजी संस्थानों द्वारा मनमाने शुल्क लेने पर प्रभावी नियंत्रण लगेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
छात्रों और अभिभावकों को राहत
कई छात्रों ने इसे सराहनीय कदम बताया है। निश्चित फीस के कारण शिक्षा की लागत कम होगी, सभी संस्थानों में एकरूपता आएगी, प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी, अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे BBA और BCA जैसे लोकप्रिय कोर्सों में दाखिला लेने वाले छात्रों को बड़ी सहूलियत मिलेगी।

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