क्या था मुख्य विवाद?
दरअसल, प्रदेश में कार्यरत कई सहायक अध्यापक ऐसे हैं जिनकी नियुक्ति बीएड के आधार पर हुई थी, लेकिन नियुक्ति के समय एनसीटीई के नियमों के तहत उन्हें छह माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया था। यह प्रशिक्षण एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है और आरटीई अधिनियम लागू होने से पहले कराया गया था। इसके बावजूद सीटेट फरवरी 2026 की सूचना पुस्तिका में प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5) के लिए ऑनलाइन आवेदन करते समय छह माह के विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण का विकल्प नहीं दिया गया था। इसी कारण ये शिक्षक प्रश्नपत्र-1 के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में यह साफ कर दिया गया है कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण पूरी तरह मान्य है। ऐसे में इसके आधार पर कार्यरत शिक्षकों को सीटेट आवेदन से वंचित नहीं किया जा सकता। इस आदेश के बाद राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने जरूरी पहल करते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी, प्रयागराज को पत्र भेजा है।
अब क्या मिलेगी सुविधा?
एससीईआरटी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षित सहायक अध्यापकों को उनके प्रशिक्षण के पूर्णांक और प्राप्तांक उपलब्ध कराए जाएं। इससे सीटेट आवेदन के दौरान पात्रता से जुड़ी समस्या खत्म हो जाएगी और शिक्षक आसानी से आवेदन कर सकेंगे। इसके साथ ही सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, ताकि संबंधित शिक्षकों को समय रहते उनके अंकपत्र मिल सकें और किसी तरह की देरी न हो।
शिक्षकों के लिए बड़ी राहत
यह फैसला हजारों शिक्षकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो लंबे समय से सीटेट आवेदन को लेकर असमंजस में थे। अब उन्हें न सिर्फ पात्रता की स्पष्टता मिली है, बल्कि समय पर अंकपत्र मिलने से उनका भविष्य भी सुरक्षित होता नजर आ रहा है। कुल मिलाकर, यह कदम यूपी के प्राथमिक शिक्षकों के हित में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक पहल साबित होगा।

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