भारत-रूस के बीच सैन्य समझौता: चीन सन्न, पाक के उड़े होश!

नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग को नई ऊँचाई देने वाला अहम समझौता हो गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे मंजूरी दे दी है। इस समझौते का नाम रिसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट (RELOS) है। इसके लागू होने के बाद दोनों देशों की सेनाएं और उनके सैन्य उपकरण कानूनी रूप से एक-दूसरे के देश में तैनात और संचालित किए जा सकेंगे।

समझौते का मकसद

RELOS का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल और सहयोग को मजबूत करना है। इसके तहत: भारत और रूस की सेनाएं एक-दूसरे की जमीन, एयरबेस, बंदरगाह और अन्य सैन्य सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगी। दोनों देश ईंधन, भोजन, उपकरण, मरम्मत और अन्य लॉजिस्टिक सहायता प्रदान कर पाएंगे। इससे संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, मानवीय सहायता और आपदा राहत जैसी परिस्थितियों में सहयोग आसान होगा।

प्रक्रिया और मंजूरी

यह समझौता 18 फरवरी 2025 को भारत और रूस के बीच साइन हुआ था। लेकिन नवंबर 2025 में इसे रूस की संसद की मंजूरी के लिए भेजा गया। स्टेट ड्यूमा (निचला सदन) ने 2 दिसंबर को और काउंसिल ऑफ फेडरेशन (ऊपरी सदन) ने 8 दिसंबर को इसे पास किया। अब राष्ट्रपति पुतिन ने सोमवार को इसे अंतिम मंजूरी दे दी।

क्या बदलेगा?

भारत और रूस के विमान, युद्धपोत और सैन्य उपकरण अब एक-दूसरे की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगे। जरूरत पड़ने पर सैनिकों और उपकरणों को तेजी से सपोर्ट मिल सकेगा। हिंद-प्रशांत महासागर में रूस की सैन्य उपस्थिति और भारत के साथ सहयोग दोनों के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद होगा। इस समझौते से दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग गहरा होगा।

चीन-पाक सतर्क

चीन और पाकिस्तान इस समझौते को लेकर सक्रिय रूप से सतर्क हैं। भारत और रूस के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग से क्षेत्रीय सामरिक संतुलन पर असर पड़ने की संभावना है। इस समझौते से स्पष्ट है कि भारत और रूस का रक्षा संबंध अब और मजबूत होगा, और दोनों देश सामरिक तैयारी, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक सहयोग के लिए कानूनी रूप से समर्थ बनेंगे।

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