यूपी में 'पंचायतों' की जांच शुरू, ग्राम प्रधानों और सचिवों में मचा हड़कंप

गोंडा। उत्तर प्रदेश में पंचायतीराज व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। पंचायतीराज विभाग ने जिले की ग्राम पंचायतों में कराए गए विकास कार्यों की गहन जांच शुरू कर दी है। इस कार्रवाई के बाद ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों में खलबली मची हुई है, क्योंकि वर्षों पुराने विकास कार्यों के खर्च का पूरा और स्पष्ट ब्यौरा मांगा जा रहा है।

गोंडा जिले में सख्ती, दर्जनों पंचायतें जांच के घेरे में

जांच की शुरुआत गोंडा जिले से हुई है, जहां जिला पंचायतीराज विभाग ने दर्जनों ग्राम पंचायतों के प्रधानों और पंचायत सचिवों को अधिभार नोटिस जारी किए हैं। जिले के आधा दर्जन से अधिक ब्लॉकों की पंचायतें इस जांच के दायरे में लाई गई हैं। विभाग का कहना है कि जिन पंचायतों में विकास कार्यों से जुड़े खर्च का संतोषजनक विवरण नहीं मिलेगा, वहां कड़ी कार्रवाई तय है।

पांच करोड़ से अधिक का अधिभार नोटिस

जानकारी के अनुसार, जिले की 31 ग्राम पंचायतों के तत्कालीन सचिवों को पांच करोड़ रुपये से अधिक की अधिभार नोटिस जारी की जा चुकी है। इससे पहले भी कई ग्राम प्रधानों को वसूली से संबंधित नोटिस भेजे गए थे। नोटिस मिलने के बाद पंचायत कार्यालयों में पुराने रिकॉर्ड खंगालने का दौर शुरू हो गया है।

विकास कार्यों के खर्च पर सवाल

जांच में सामने आया है कि कई ग्राम पंचायतों में सड़क, नाली, खड़ंजा, कायाकल्प और स्वच्छता जैसे विकास कार्यों में खर्च की गई राशि का पूरा विवरण विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया है। इसी वजह से संबंधित प्रधानों और सचिवों से पुराने बिल, मस्टर रोल, भुगतान वाउचर और कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र मांगे गए हैं।

पंचायत राजनीति में भी हलचल

विभागीय जांच का असर पंचायत राजनीति पर भी दिखाई देने लगा है। जांच की खबर फैलते ही ग्राम प्रधानों के प्रतिद्वंद्वियों को मुद्दा मिल गया है। कई गांवों में विपक्षी गुट शिकायतों और दस्तावेजों के साथ अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं, जिससे प्रधानों की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं।

ग्राम प्रधानों का क्या हो पक्ष

कुछ ग्राम प्रधानों का कहना है कि जिन विकास कार्यों पर सवाल उठ रहे हैं, वे पूर्व कार्यकाल में कराए गए थे। समय बीतने के साथ कई अभिलेख इधर-उधर हो गए हैं, जिससे पूरा रिकॉर्ड जुटाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि विभाग इस तर्क को मानने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है।

विभाग का भी स्पष्ट रुख

जिला पंचायतीराज अधिकारी (डीपीआरओ) लालजी दूबे के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में कराए गए विकास कार्यों में जिन ग्राम पंचायतों और पंचायत सचिवों ने ऑडिट टीम के सामने खर्च के अनुरूप दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए, उन्हें अधिभार नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। समय पर संतोषजनक उत्तर न मिलने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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