डेडलाइन बढ़ी, लेकिन भरोसा नहीं बढ़ा
UPS को अपनाने की समय-सीमा सरकार ने पहले 30 जून से 30 सितंबर और फिर 30 नवंबर 2025 तक बढ़ाई थी। माना जा रहा था कि अंतिम तारीख एक बार और आगे बढ़ सकती है, लेकिन अब तक की कमजोर भागीदारी यह संकेत देती है कि कर्मचारी इस योजना को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। अधिकतर कर्मचारी “पहले देखो, फिर फैसला लो” की नीति पर चलते नजर आ रहे हैं।
OPS जैसा दावा, लेकिन शंकाएं बरकरार
सरकार ने UPS को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के भीतर एक वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में पेश किया था और इसे पुराने पेंशन सिस्टम (OPS) की तरह सुनिश्चित लाभ देने वाला बताया गया। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए लागू है, जिन्होंने 1 अप्रैल 2025 से पहले केंद्र सरकार की सेवा जॉइन की थी। यदि राज्य सरकारें भी इसे अपनातीं, तो संभावित लाभार्थियों की संख्या 90 लाख तक पहुंच सकती थी। लेकिन शुरुआती प्रतिक्रिया ने सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
सरकार का फैसला: एक बार वापस NPS का विकल्प
कर्मचारियों की आशंकाओं को देखते हुए सरकार ने एक अहम राहत दी है। जो कर्मचारी पहले ही UPS चुन चुके हैं, उन्हें एक बार NPS में लौटने की अनुमति दी गई है। हालांकि यह सुविधा सीमित परिस्थितियों में ही मिलेगी। रिटायरमेंट से 12 महीने पहले, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से 3 महीने पहले या इस्तीफा देते समय। यह विकल्प बर्खास्तगी, अनुशासनात्मक कार्रवाई या दंडात्मक रिटायरमेंट के मामलों में नहीं मिलेगा। साथ ही, एक बार NPS में लौटने के बाद दोबारा UPS चुनने का मौका नहीं होगा।

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