अभी क्या है समस्या?
वर्तमान व्यवस्था में नया बिजली कनेक्शन लेने के लिए ट्रांसफॉर्मर, पोल, केबल, लाइन और अन्य उपकरणों के नाम पर अलग-अलग लागत जोड़ी जाती है। इन खर्चों का आकलन अभियंता करते हैं, जिस पर अक्सर दूरी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने या अनावश्यक मदें जोड़ने के आरोप लगते रहे हैं। नतीजा यह होता है कि उपभोक्ताओं को हजारों से लेकर लाखों रुपये तक का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है और सौदेबाजी की स्थिति बन जाती है।
फिक्स्ड चार्ज से खत्म होगी मनमानी
नई प्रस्तावित प्रणाली में 300 मीटर तक की दूरी वाले कनेक्शनों के लिए उपभोक्ता को सिर्फ एकमुश्त तय शुल्क जमा करना होगा। इस शुल्क में प्रोसेसिंग फीस, सिक्योरिटी डिपॉजिट, मीटरिंग चार्ज और अन्य सभी खर्च शामिल होंगे। पोल लगाना, लाइन बिछाना या ट्रांसफॉर्मर की व्यवस्था करना बिजली विभाग की जिम्मेदारी होगी। इससे न केवल प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी, बल्कि उपभोक्ता को यह पहले से पता होगा कि उसे कुल कितना भुगतान करना है।
घरेलू उपभोक्ताओं को सीधा फायदा
उदाहरण के तौर पर, 2 किलोवाट के घरेलू कनेक्शन के लिए 100 मीटर दूरी तक एकमुश्त शुल्क लगभग ₹5,500, 300 मीटर दूरी तक करीब ₹7,555, पहले ऐसे मामलों में पोल और लाइन के नाम पर अतिरिक्त हजारों रुपये वसूले जाते थे, जो अब नहीं देने होंगे। साथ ही, अंग्रेजों के जमाने की 40 मीटर तक मुफ्त कनेक्शन वाली व्यवस्था भी समाप्त कर दी जाएगी और नई प्रणाली सभी पर समान रूप से लागू होगी।
ग्रामीण-शहरी सभी को समान लाभ
यह नई व्यवस्था ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में लागू की जाएगी। इससे करोड़ों उपभोक्ताओं को कनेक्शन लेने में राहत मिलेगी और पूरी प्रक्रिया सरल, पारदर्शी तथा समयबद्ध बन सकेगी। यह बदलाव केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिसिटी रूल्स के अनुरूप भी है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूत करना है।

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