8वें वेतन आयोग में जीरो से शुरू होगी DA की गणना

नई दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी संरचना में एक और महत्वपूर्ण बदलाव आने वाला है। जब 8वें वेतन आयोग का लागू होगा, तो महंगाई भत्ते (DA) की गणना जीरो (0) से शुरू होगी। इसका मतलब है कि कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता पहले शून्य होगा, और फिर धीरे-धीरे इसमें वृद्धि की जाएगी, जो कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर तय होगी। इस बदलाव से कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकता है, जिससे उनका कुल वेतन भी प्रभावित होगा।

महंगाई भत्ते का शून्य से शुरू होना

8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद महंगाई भत्ते की गणना शून्य से की जाएगी। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कर्मचारी का बेसिक वेतन ₹34,200 है, तो जनवरी 2026 से उसका महंगाई भत्ता शून्य होगा। इसके बाद जुलाई 2026 में महंगाई भत्ते में वृद्धि की जाएगी, जो कि 3-4 प्रतिशत (जो भी निर्धारित होगा) के आसपास हो सकती है। यह वृद्धि समय-समय पर CPI में बदलाव के आधार पर तय होगी। महंगाई भत्ते का शून्य होना सीधे तौर पर अन्य भत्तों पर भी असर डालेगा। इसके परिणामस्वरूप, कर्मचारियों के कुल वेतन में भी बदलाव हो सकता है।

महंगाई भत्ते का मूल वेतन में मर्ज होना

जब नया वेतनमान लागू होगा, तो महंगाई भत्ता मूल वेतन में जोड़ दिया जाएगा। यदि महंगाई भत्ता 50% या उससे अधिक होता है, तो इसे नए वेतन आयोग पर मर्ज किया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि एक कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी ₹18,000 है और महंगाई भत्ता 50% है (₹9,000), तो 8वें वेतन आयोग के लागू होने पर यह महंगाई भत्ता मूल वेतन में मर्ज हो जाएगा, जिससे उसका कुल वेतन ₹27,000 हो जाएगा।

महंगाई भत्ते की गणना का तरीका

महंगाई भत्ते की गणना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर की जाती है। CPI में समय-समय पर बदलाव होता है, और जैसे-जैसे महंगाई में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे DA भी बढ़ता है। इस वृद्धि का सीधा असर कर्मचारियों के वेतन पर पड़ता है, क्योंकि DA का हिस्सा उनका कुल वेतन बढ़ाता है। 8वें वेतन आयोग के लागू होने पर, DA को मूल वेतन में जोड़ने से कर्मचारियों का कुल वेतन बढ़ेगा।

महंगाई भत्ते का शून्य होने का कारण

कई बार ऐसा होता है कि जब नया वेतनमान लागू किया जाता है, तो कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता पहले मूल वेतन में जोड़ दिया जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया कभी पूरी तरह से लागू नहीं हो पाती, क्योंकि वित्तीय स्थिति आड़े आती है। उदाहरण के लिए, 2016 में ऐसा किया गया था, और उससे पहले 2006 में जब छठे वेतनमान का लागू हुआ था, तब कर्मचारियों को मिलने वाला DA 187% तक था, जिसे मूल वेतन में मर्ज कर दिया गया था। तब छठे वेतनमान का गुणांक 1.87 था, जिससे कर्मचारियों को वेतन में बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि, इसे लागू करने में तीन साल का समय लग गया था।

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