खबर के अनुसार इस नई व्यवस्था का पहला चरण दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लागू किया जा सकता हैं। इसके तहत, प्रबंध निदेशक (MD) की नियुक्ति निजी क्षेत्र की कंपनी से होगी, जबकि अध्यक्ष पद पर सरकार का प्रतिनिधि रहेगा।
बता दें की यूपी में हो रहे इस बदलाव के खिलाफ ऊर्जा संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है और निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है। सोमवार को लखनऊ स्थित शक्ति भवन में एक बैठक हुई, जिसमें सभी वितरण निगमों के अधिकारियों से राय ली गई और घाटे से निपटने के लिए सुझाव मांगे गए। इस बैठक में पीपीपी मॉडल के तहत सुधार के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करने पर चर्चा की गई।
अधिकारियों ने यह आश्वासन दिया कि पीपीपी मॉडल के तहत सरकार का भी प्रबंधन में हिस्सा रहेगा, और सभी कर्मचारियों के हित सुरक्षित रहेंगे। पेंशन और अन्य लाभ समय से दिए जाएंगे, और संविदाकर्मियों के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा, अधिकारियों का मानना था कि इस कदम से दक्ष मैनपावर की आवश्यकता होगी, जिससे सेवा की गुणवत्ता में सुधार की संभावना है।
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