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बिहार में 'मिड डे मील' को लेकर नए निर्देश जारी

पटना: बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना के तहत बढ़ती अनियमितताओं को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शिक्षा विभाग ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत अब प्रधानाध्यापकों को हर दिन मिड डे मील वितरण के बाद प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होगा। इस प्रमाणपत्र पर शिक्षकों के हस्ताक्षर भी जरूरी होंगे, ताकि निगरानी प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

नई प्रक्रिया में क्या बदलेगा?

अब प्रत्येक विद्यालय को मिड डे मील वितरण के बाद एक प्रमाणपत्र देना होगा, जिसमें उस दिन के वितरण की पूरी जानकारी दर्ज होगी। यह प्रमाणपत्र स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा तैयार किया जाएगा और उस पर संबंधित शिक्षकों के हस्ताक्षर भी अनिवार्य होंगे। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि मिड डे मील योजना में कोई भी अनियमितता न हो और इसे सही तरीके से लागू किया जा सके।

सख्त निगरानी और कार्रवाई

बिहार सरकार ने कहा है कि इस नई प्रक्रिया के अंतर्गत जिला स्तर पर निगरानी को भी मजबूत किया जाएगा। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अब नियमित रूप से विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि योजना सही तरीके से लागू हो रही है। किसी भी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार के मामले में सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

पिछली शिकायतों पर गौर

हाल के वर्षों में मिड डे मील योजना के संचालन को लेकर कई तरह की शिकायतें सामने आई थीं, जिनमें भोजन की गुणवत्ता में कमी, छात्रों की उपस्थिति में हेराफेरी और वित्तीय अनियमितताओं की बातें उठाई गई थीं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए बिहार सरकार ने यह नया आदेश जारी किया है।

कड़ी निगरानी और जवाबदेही

बिहार के सरकारी स्कूलों में अब मिड डे मील योजना में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। शिक्षा विभाग के इस कदम को सकारात्मक तरीके से देखा जा रहा है क्योंकि इससे न केवल योजना में पारदर्शिता आएगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि बच्चों को गुणवत्ता वाला भोजन मिले। इसके साथ ही, योजनाओं में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को रोकने में भी मदद मिलेगी।

यूपी के 60 जिलों में एक हफ्ते तक आंधी, बारिश और वज्रपात के आसार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लोगों को आने वाले सप्ताह में मौसम के बदले मिजाज का सामना करना पड़ सकता है। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र, लखनऊ द्वारा जारी ताज़ा पूर्वानुमान के अनुसार राज्य के 60 से अधिक जिलों में अगले एक सप्ताह तक गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश, आंधी और वज्रपात की संभावना जताई गई है। हवाओं की रफ्तार 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है, जिससे जनजीवन पर असर पड़ सकता है।

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान के ऊपर एक शुष्क रेखा (ड्राई लाइन) सक्रिय है, जो केरल तक फैली हुई है। इसके प्रभाव क्षेत्र में उत्तर प्रदेश भी शामिल हो गया है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी युक्त पूर्वा हवाएं और दक्षिण-पश्चिमी शुष्क हवाओं के आपसी टकराव के चलते चक्रवाती परिसंचरण बन रहा है। साथ ही, एक ताकतवर पश्चिमी विक्षोभ भी उत्तर भारत के ऊपर सक्रिय है। इन सभी मौसमी बदलावों के कारण राज्य में मौसम बिगड़ने की पूरी संभावना है।

सावधानी बरतें – मौसम विभाग की सलाह:

मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम से जुड़ी ताज़ा जानकारी पर नज़र रखें और विशेषकर खुले स्थानों पर बिजली गिरने के समय सावधानी बरतें। किसान, वाहन चालक और स्कूलों के प्रबंधन को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। बारिश और हवाओं के प्रभाव से तापमान में गिरावट भी दर्ज की जाएगी, जिससे गर्मी से थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

इन जिलों में आंधी, बारिश और वज्रपात के आसार

कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, 

कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, 

बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, 

गोरखपुर, संत कबीर नगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, 

चंदौली, वाराणसी, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, 

अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकर नगर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, 

बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, कासगंज, एटा, मैनपुरी, इटावा, औरैया, बिजनौर, 

अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल और बदायूं जिलों में गरज-चमक और बिजली गिरने की प्रबल संभावना है।

बिहार में सभी शिक्षकों को मिलेगी ये नई सुविधाएं

पटना। बिहार के शिक्षकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए 'ई-शिक्षा कोष पोर्टल' की शुरुआत की है। इस डिजिटल पहल के तहत अब शिक्षक अपनी समस्याएं ऑनलाइन दर्ज करा सकेंगे और उन्हें समाधान के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ द्वारा सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस संबंध में आधिकारिक निर्देश जारी किए गए हैं। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि शिक्षकों की शिकायतों के निपटारे के लिए पोर्टल का प्रभावी संचालन सुनिश्चित किया जाए।

क्या है ई-शिक्षा कोष पोर्टल?

'ई-शिक्षा कोष पोर्टल' एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे विशेष रूप से शिक्षकों की समस्याएं दर्ज करने और उनका समाधान पाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। यह पोर्टल शिक्षकों को घर बैठे अपनी शिकायत दर्ज करने, ट्रैक करने और उसका समाधान प्राप्त करने की सुविधा देगा। इसके ज़रिए अब शिक्षकों को जिला कार्यालय या पटना मुख्यालय की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।

शिक्षकों को क्या होगा फायदा?

इस नई पहल से राज्य के लाखों शिक्षकों को राहत मिलेगी। पहले जहां एक शिकायत को दर्ज कराने और उसका समाधान पाने में सप्ताहों या महीनों लग जाते थे, वहीं अब ऑनलाइन प्रक्रिया के चलते कुछ ही दिनों में शिक्षकों को जवाब और समाधान मिलने की संभावना है।

यह पोर्टल राज्य सरकार की डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे ना केवल शिक्षकों की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि शिक्षा प्रणाली में भी सुधार देखने को मिलेगा। इस पहल से शिक्षकों को मुख्यालय आने की आवश्यकता नहीं होगी और उनकी समस्याओं का निवारण आसानी से होगा।

बिहार में 'स्नातक' डिग्रीधारकों के लिए नौकरियों की बरसात

पटना। बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग (BPSSC) ने एक और बड़ी भर्ती का ऐलान कर दिया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में वन क्षेत्र पदाधिकारी (Range Officer of Forest) के कुल 24 पदों पर सीधी भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की गई है। योग्य उम्मीदवार 1 मई 2025 से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। आवेदन करने की अंतिम तिथि 1 जून 2025 निर्धारित की गई है।

शैक्षणिक योग्यता

इस भर्ती के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों के पास पशुपालन एवं पशुरोग विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान, गणित, भौतिकी, सांख्यिकी, जन्तु विज्ञान, कृषि, वानिकी या इंजीनियरिंग में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।

आयु सीमा

इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की आयु 21 वर्ष से 37 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आरक्षित वर्गों को नियमानुसार आयु में छूट भी प्रदान की जाएगी।

चयन प्रक्रिया

उम्मीदवारों का चयन तीन चरणों में होगा: लिखित परीक्षा, साक्षात्कार (इंटरव्यू) और शारीरिक दक्षता परीक्षा (Physical Efficiency Test - PET).

शारीरिक दक्षता परीक्षा का मानक : पुरुष उम्मीदवारों को 25 किलोमीटर की दूरी को 4 घंटे में पैदल तय करना होगा। जबकि महिला उम्मीदवारों को 14 किलोमीटर की दूरी 4 घंटे में पूरी करनी होगी। निर्धारित समय से अधिक समय लेने वाले अभ्यर्थियों को असफल घोषित कर दिया जाएगा।

आवेदन कैसे करें

इच्छुक अभ्यर्थी 1 मई 2025 से BPSSC की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। विस्तृत दिशा-निर्देश और आवेदन लिंक आयोग द्वारा जल्द ही पोर्टल पर सक्रिय किया जाएगा।

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: कराई जाएगी जातिगत जनगणना

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार सुबह हुई केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देशभर में जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय देश के सामाजिक ताने-बाने को बेहतर समझने और न्यायसंगत नीति निर्धारण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

1947 के बाद पहली बार होगी जाति आधारित जनगणना

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज़ादी के बाद 1947 से अब तक जातिगत जनगणना नहीं कराई गई थी। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "मनमोहन सिंह सरकार ने जातिगत जनगणना की बात तो जरूर की थी, लेकिन उसे केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया।" वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया कि जाति जनगणना केवल केंद्र सरकार का विषय है और अब यह मूल जनगणना प्रक्रिया में ही शामिल की जाएगी।

सामाजिक संतुलन का रखा जाएगा ध्यान

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया को बेहद संवेदनशीलता और संतुलन के साथ अंजाम दिया जाएगा ताकि देश के सामाजिक ताने-बाने को कोई ठेस न पहुंचे। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कुछ राज्यों ने पहले भी जातिगत आंकड़े जुटाने की कोशिश की है और उन अनुभवों से केंद्र सरकार भी सीख ले रही है।

क्या है जातिगत जनगणना?

जातिगत जनगणना में देश की आबादी को विभिन्न जातियों और उप-जातियों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इससे यह जानकारी मिलती है कि देश में कौन-सी जाति कितनी संख्या में मौजूद है, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है और किन वर्गों को विशेष सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

राजनीतिक और सामाजिक असर

जातिगत जनगणना का फैसला भारतीय राजनीति में नए सामाजिक विमर्श की शुरुआत मानी जा रही है। यह न केवल नीति निर्धारण में सहायक होगा बल्कि वंचित और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में भी प्रभावी कदम साबित हो सकता है।

यूपी के सभी सरकारी दफ्तरों में ये नया नियम लागू!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए एक अहम फैसला लिया है। प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में अब 'जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर' अनिवार्य रूप से रखा जाएगा। इस नई व्यवस्था के तहत सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा भेजे गए पत्रों का न केवल विवरण दर्ज किया जाएगा, बल्कि उनके समाधान की स्थिति से भी जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया जाएगा।

जिम्मेदारी से नहीं बच पाएंगे अधिकारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अब जनसमस्याओं की अनदेखी अफसरों को महंगी पड़ेगी। शासन ने सभी प्रमुख सचिवों, डीजीपी, मंडलायुक्तों, विभागाध्यक्षों, जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और पुलिस कमिश्नरों को इस संबंध में सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा भेजे गए पत्रों पर त्वरित कार्रवाई की जाए और निर्धारित समय सीमा में प्रकरणों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।

आदेशों की अवहेलना पर होगी सख्त कार्रवाई

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी इस आदेश की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। यह व्यवस्था सीधे तौर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगी और कामकाज में लापरवाही पर लगाम लगाएगी।

शासन और जनता के बीच सेतु बनेगी नई व्यवस्था

सरकार का मानना है कि यह रजिस्टर न केवल सरकारी मशीनरी को अधिक उत्तरदायी बनाएगा, बल्कि जनप्रतिनिधियों और जनता के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने में भी मदद करेगा। अक्सर जनप्रतिनिधियों को बार-बार एक ही मुद्दे पर पत्राचार करना पड़ता है, जिससे प्रशासनिक कार्य में देरी होती है। अब जनप्रतिनिधियों को समाधान की स्थिति की जानकारी सीधे मिलेगी, जिससे उनके कामकाज में भी गति और पारदर्शिता आएगी।

योगी सरकार का सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम

इस फैसले को प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न सिर्फ अधिकारी अपने कार्यों के प्रति अधिक जिम्मेदार बनेंगे, बल्कि आम जनता को भी समय पर और प्रभावी समाधान मिलने की उम्मीद है। योगी सरकार की यह पहल न केवल सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने में सहायक होगी, बल्कि जनसेवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाएगी।

भारत में AI की पढ़ाई के लिए टॉप-7 कॉलेज: भविष्य की नींव यहीं से रखें!

नई दिल्ली – जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) दुनिया के हर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, वैसे-वैसे भारत में भी इस क्षेत्र में करियर बनाने को लेकर छात्रों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। तकनीक की इस उभरती लहर में भारत के कई शैक्षणिक संस्थान छात्रों को अत्याधुनिक शिक्षा और रिसर्च सुविधाएं देकर भविष्य के AI लीडर्स तैयार कर रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले वर्षों में AI, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्र में रोजगार की मांग कई गुना बढ़ने वाली है। ऐसे में सही संस्थान से शिक्षा प्राप्त करना न केवल तकनीकी ज्ञान देता है, बल्कि करियर की दिशा भी तय करता है।

1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT Madras)

AI और डेटा साइंस के लिए देश के सबसे अग्रणी संस्थानों में शामिल। इसमें AI और Robotics पर केंद्रित कई रिसर्च लैब्स मौजूद हैं।

2. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT Bombay)

यह संस्थान AI में रिसर्च के लिए प्रसिद्ध, साथ ही Google और Microsoft जैसी कंपनियों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट्स पर कार्य करता है।

3. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (IIT Delhi)

IIT Delhi का School of Artificial Intelligence छात्रों को इंडस्ट्री-रेडी बनाने पर ज़ोर देता है। यहां AI केंद्रित कई रिसर्च लैब्स मौजूद हैं।

4. भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर (IISc Bangalore)

यह संस्थान AI और Machine Learning में गहरी रिसर्च के लिए जाना जाता है। यहाँ PhD और M.Tech दोनों स्तर पर कोर्स उपलब्ध हैं।

5. इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद (IIIT Hyderabad)

यहांAI में इंडस्ट्री और एकेडमिक रिसर्च का बेजोड़ मेल हैं। इसकी CVIT लैब (Computer Vision and Information Technology) काफी प्रसिद्ध है।

6. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर (IIT Kharagpur)

यह संस्थान AI के साथ-साथ IoT, Robotics और Big Data के क्षेत्रों में प्रबल रिसर्च कर रहा हैं।  AI और Machine Learning की पढ़ाई यहां कर सकते हैं।

7. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर (IIT Kanpur)

यह संस्थान AI के सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों पहलुओं पर गहन अध्ययन के लिए जाना जाता है। यहां AI केंद्रित कई रिसर्च लैब्स मौजूद हैं।

यूपी में संविदा कर्मचारियों की छंटनी: बिना नोटिस!

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले में विद्युत वितरण खंड के अंतर्गत कार्यरत 183 संविदा कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया। हैरानी की बात यह है कि इन कर्मचारियों को न तो कोई पूर्व सूचना दी गई और न ही उन्हें दो महीने का बकाया वेतन मिला है। यह कार्रवाई जिले के फतेहपुर, रामनगर, हैदरगढ़, रामसनेहीघाट और सिरौलीगौसपुर डिवीजनों में की गई है।

विभाग का रवैया कठोर, कर्मचारियों में रोष

अचानक हुई इस छंटनी ने कर्मचारियों को गहरे सदमे में डाल दिया है। सिरौलीगौसपुर विद्युत स्टेशन पर छह वर्षों से कार्यरत एक कर्मचारी ने कहा, “मैंने जीवन के कीमती साल इस विभाग को दिए, अब जब सबसे ज्यादा जरूरत है, तब हमें बेसहारा छोड़ दिया गया। घर कैसे चलेगा, ये समझ नहीं आ रहा।”

एक अन्य कर्मचारी ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि उनके छोटे-छोटे बच्चों की स्कूल फीस और घर का खर्च अधर में लटक गया है। विभाग की इस बेरुखी ने न केवल उनकी आजीविका छीनी है, बल्कि आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाई है।

फरवरी में भी हुई थी बड़ी छंटनी

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब विभाग ने संविदा कर्मचारियों को हटाया हो। इससे पहले फरवरी 2025 में भी आयु सीमा का हवाला देते हुए 450 से अधिक कर्मचारियों को हटा दिया गया था। अब एक बार फिर बिना नोटिस और वेतन के निकाले गए कर्मचारियों में विभाग के खिलाफ गहरा आक्रोश है।

कोई जवाबदेही नहीं

विभाग की ओर से इस अचानक की गई कार्रवाई पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। न ही बकाया वेतन को लेकर कोई समयसीमा तय की गई है। इससे कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना और अधिक गहराती जा रही है।

बिहार में 'फील्ड इन्वेस्टिगेटर' की सीधी भर्ती, इंटरव्यू से चयन

पटना। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) पटना ने फील्ड इन्वेस्टिगेटर के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इस भर्ती के तहत कुल 2 पदों को भरा जाएगा। इच्छुक और योग्य अभ्यर्थी 15 मई 2025 को आयोजित होने वाले वॉक-इन इंटरव्यू में शामिल होकर इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।

वॉक-इन इंटरव्यू 15 मई को

संस्थान द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वॉक-इन इंटरव्यू का आयोजन 15 मई 2025 को प्रातः 10 बजे से किया जाएगा। उम्मीदवारों को निर्धारित तिथि और समय पर सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ इंटरव्यू स्थल पर पहुंचना होगा।

योग्यता और आयु सीमा

इन पदों के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के पास न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के रूप में एम.ए. की डिग्री होनी चाहिए। वहीं, अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु 28 वर्ष निर्धारित की गई है।

वेतन और पद विवरण

फील्ड इन्वेस्टिगेटर के चयनित उम्मीदवारों को हर महीने ₹20,000/- रुपये की समेकित फेलोशिप प्रदान की जाएगी। यह नियुक्ति संविदा आधारित होगी और परियोजना की अवधि के अनुसार मान्य रहेगी।

आवेदन कैसे करें

इस भर्ती के लिए कोई ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया नहीं रखी गई है। अभ्यर्थियों को सीधे वॉक-इन इंटरव्यू में शामिल होना होगा। विस्तृत जानकारी और दिशा-निर्देशों के लिए अभ्यर्थी IIT पटना की आधिकारिक वेबसाइट www.iitp.ac.in पर विजिट कर सकते हैं।

बिहार में '10वीं' पास के लिए नौकरियों की बहार!

शिवहर, बिहार:

बिहार के युवाओं के लिए नौकरी की तलाश अब खत्म हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), शिवहर ने 100 पदों पर पैरा लीगल वालंटियर की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह भर्ती उन उम्मीदवारों के लिए बेहतरीन अवसर है, जो समाज सेवा और कानूनी सहायता के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं।

आवेदन प्रक्रिया 24 अप्रैल से शुरू:

DLSA शिवहर द्वारा जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, आवेदन प्रक्रिया 24 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुकी है और 23 मई 2025 तक चलेगी। उम्मीदवारों को ध्यान देना होगा कि यह पूरी प्रक्रिया ऑफलाइन मोड में की जाएगी। इच्छुक अभ्यर्थी sheohar.dcourts.gov.in वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड करके निर्धारित पते पर भेज सकते हैं।

क्या होनी चाहिए योग्यता?

इस भर्ती के लिए सबसे जरूरी योग्यता है—उम्मीदवार का 10वीं पास होना। यानी जिन अभ्यर्थियों ने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली है, वे आवेदन के लिए पात्र हैं।

कुल पदों की संख्या:

पद का नाम: पैरा लीगल वालंटियर

कुल पद: 100

आयु सीमा:

आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा से जुड़ी जानकारी के लिए आधिकारिक अधिसूचना देखना जरूरी है।

कैसे करें आवेदन?

DLSA शिवहर की वेबसाइट sheohar.dcourts.gov.in पर जाएं। "Recruitment" सेक्शन से आवेदन फॉर्म डाउनलोड करें। फॉर्म को सही जानकारी के साथ भरें और आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें। आवेदन पत्र को तय समय सीमा के भीतर संबंधित कार्यालय में जमा करें।

महत्वपूर्ण तिथियां:

आवेदन शुरू: 24 अप्रैल 2025

आवेदन की अंतिम तिथि: 23 मई 2025

लखनऊ में हाउस टैक्स जमा करने पर 10% की छूट

लखनऊ, 30 अप्रैल। लखनऊ के नागरिकों के लिए राहत भरी खबर है। नगर निगम ने हाउस टैक्स भुगतान पर मिलने वाली छूट की अवधि बढ़ा दी है। अब लोग मई माह के अंत तक हाउस टैक्स जमा कर 10 फीसदी तक की छूट का लाभ उठा सकते हैं। यह निर्णय मेयर सुषमा खर्कवाल के निर्देश पर नगर आयुक्त गौरव कुमार द्वारा लागू किया गया है।

पहले यह छूट केवल 30 अप्रैल तक के लिए निर्धारित थी, लेकिन अब नागरिकों को एक और महीने का अतिरिक्त समय मिल गया है। छूट के तहत ऑनलाइन भुगतान करने वालों को 10 प्रतिशत और ऑफलाइन भुगतान करने वालों को 8 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

डिजिटल पेमेंट को मिल रहा बढ़ावा

नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने बताया कि यह निर्णय डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया गया है। “ऑनलाइन पेमेंट से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि नागरिकों को घर बैठे ही टैक्स जमा करने की सुविधा मिलती है,” उन्होंने कहा।

टैक्स वसूली में रिकॉर्ड वृद्धि

लखनऊ नगर निगम की यह रणनीति रंग ला रही है। इस साल अप्रैल महीने तक की बात करें तो, पिछले साल की तुलना में तीन गुना अधिक टैक्स वसूली की गई है। इसे प्रशासन की सक्रियता और नागरिकों की जागरूकता का नतीजा माना जा रहा है।

मेयर का निर्देश: हर नागरिक तक पहुंचे योजना

मेयर सुषमा खर्कवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि छूट योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी दी जाए। “यह सिर्फ टैक्स वसूली का मामला नहीं, बल्कि नागरिक सुविधा और शहर के विकास से जुड़ा मुद्दा है,” उन्होंने कहा।

अब टैक्स चुकाएं बिना लाइन में लगे

इस योजना से लाभ उठाने के लिए नागरिक लखनऊ नगर निगम की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। इससे न केवल भागदौड़ से मुक्ति मिलेगी, बल्कि छूट का सीधा लाभ भी मिलेगा।

बिहार में होमगार्ड भर्ती को लेकर बड़ी खबर, जानिए

पटना – बिहार में होमगार्ड के 15 हजार पदों पर भर्ती को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। राज्यभर में इन पदों के लिए कुल 8 लाख 50 हजार 461 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। सबसे अधिक 69,014 आवेदन पटना जिले से किए गए हैं। बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इस बार शारीरिक परीक्षा में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। मई महीने से प्रदेशभर में शारीरिक परीक्षा शुरू होने जा रही है।

बता दें की गृह विभाग की विशेष शाखा ने जिलास्तर पर बहाली की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इसके तहत हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है। पटना समेत सभी जिलों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं।

अधिकारियों का कहना है कि अगले एक सप्ताह में सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी, जिसमें परीक्षा स्थलों का चयन और अन्य व्यवस्थाएं शामिल हैं। शारीरिक परीक्षा में दौड़, ऊंची कूद और अन्य मानकों की जांच की जाएगी।यह भर्ती प्रक्रिया राज्य में बेरोजगारी को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। बड़ी संख्या में आवेदन यह दर्शाता है कि युवाओं में इस बहाली को लेकर भारी उत्साह है।

तकनीक का सहारा: फिटनेस टेस्ट में लगेगी 'चिप'

इस बार की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए विशेष तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। शारीरिक परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों के पैरों में एक विशेष चिप लगाई जाएगी, जिससे दौड़ की सटीक निगरानी की जा सके। इस तकनीक से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और सही अभ्यर्थी का चयन हो।

इस वर्ग से आये कितने आवेदन:

सामान्य वर्ग – 48,603, ईडब्लूएस – 65,881

पिछड़ा वर्ग – 2,83,107, अति पिछड़ा वर्ग – 2,36,028

अनुसूचित जाति – 2,01,767, अनुसूचित जनजाति – 15,075

बिहार SI भर्ती: 1681 उम्मीदवारों के आवेदन रद्द, 3 से मिलेंगे ई-एडमिट कार्ड!

पटना। बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग (BPSSC) ने मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के तहत सब-इंस्पेक्टर (SI) पदों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ी कार्रवाई करते हुए 1681 उम्मीदवारों के आवेदन रद्द कर दिए हैं। आयोग ने इन अभ्यर्थियों की रिजेक्ट लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर सहित विवरण शामिल है। यह सूची आयोग की आधिकारिक वेबसाइट bpssc.bihar.gov.in पर उपलब्ध है।

इन कारणों से रद्द हुए फॉर्म

BPSSC द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, निम्नलिखित तीन प्रमुख कारणों के चलते अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त किए गए हैं: 523 उम्मीदवारों ने स्वयं अपने आवेदन वापस ले लिए। 23 अभ्यर्थियों के दो या अधिक आवेदन पाए गए, जिसके कारण सभी आवेदन अस्वीकार कर दिए गए। 1135 उम्मीदवारों ने केवल रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन पूरा आवेदन पत्र सबमिट नहीं किया, जिससे उनके फॉर्म अमान्य माने गए।

कब होगी प्रारंभिक परीक्षा?

बिहार पुलिस SI भर्ती की प्रारंभिक लिखित परीक्षा रविवार, 18 मई 2025 को आयोजित की जाएगी। परीक्षा का समय सुबह 10:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक तय किया गया है। सभी उम्मीदवारों को सुबह 8:30 बजे तक परीक्षा केंद्र पर रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा। बायोमेट्रिक सत्यापन और अन्य औपचारिकताओं को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों को सलाह दी गई है कि वे कम से कम एक घंटे पहले केंद्र पर पहुंचें।

3 मई से मिलेगा ई-एडमिट कार्ड

BPSSC ने जानकारी दी है कि SI परीक्षा के लिए ई-एडमिट कार्ड 3 मई 2025 से आधिकारिक वेबसाइट पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध होंगे। परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड के साथ एक वैध फोटो पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी) लाना अनिवार्य होगा।

बिहार में नियोजित शिक्षकों को बड़ा झटका: तुरंत पढ़ें

पटना। बिहार के हजारों नियोजित शिक्षकों के लिए एक बार फिर से निराशा भरी खबर सामने आई है। 12 वर्षों से शिक्षा व्यवस्था में सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों को प्रोन्नति मिलने की उम्मीद थी, लेकिन बिहार सरकार ने उनके इस सपने को फिलहाल झटका दे दिया है। शिक्षा विभाग ने पटना हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद प्रमोशन देने से इनकार कर दिया है। इसके बजाय सरकार अब कोर्ट के आदेश के खिलाफ एलपीए (Letters Patent Appeal) दाखिल करने जा रही है।

हाई कोर्ट का फैसला और उसकी अनदेखी

दिसंबर 2024 में पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि वे नियोजित शिक्षक जिन्होंने 12 साल की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें प्रोन्नति का अधिकार मिलना चाहिए। यह फैसला शिक्षक संजय कुमार की 2021 में दायर याचिका पर आया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि नियोजित शिक्षकों के साथ राज्य सरकार भेदभाव कर रही है और उन्हें प्रोन्नति तथा स्थानांतरण जैसे अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

शिक्षा विभाग का यू-टर्न

हालांकि, इस फैसले के चार महीने बाद शिक्षा विभाग ने अप्रत्याशित रूप से एक नया रुख अपनाया है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला ने हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 के तहत ही शिक्षकों को प्रोन्नति मिल सकती है, वह भी सक्षमता परीक्षा (Competency Test) पास करने के बाद। इसके साथ ही विभाग ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ एलपीए दाखिल करने की तैयारी कर ली है।

हजारों शिक्षकों में गहरी नाराजगी

सरकार के इस फैसले से हजारों शिक्षक आहत हैं। वे लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे और कोर्ट के आदेश से उन्हें आशा की किरण दिखाई दी थी। लेकिन अब जब सरकार ने एलपीए दाखिल करने का निर्णय लिया है, तो शिक्षकों में गहरी नाराजगी और असंतोष देखा जा रहा है।

दुनिया के 10 सबसे कठिन पढ़ाई – जिनसे गुजरना ही एक अचीवमेंट है!

नई दिल्ली।

दुनिया में कुछ पढ़ाइयाँ ऐसी होती हैं, जिन्हें करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। ये कोर्सेस सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि दिमाग, समर्पण और सालों की मेहनत से पूरे होते हैं। जिन छात्रों की दिलचस्पी इन बेहद चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में होती है, उन्हें सिर्फ क्लासरूम में नहीं, बल्कि लैब्स, रिसर्च सेंटर और कभी-कभी स्पेस में भी खुद को साबित करना होता है।

दुनिया के 10 सबसे कठिन पढ़ाई

1. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग

जहां बात होती है उड़ान की, वहीं से शुरू होती है असली परीक्षा। जेट इंजन, एयरक्राफ्ट डिजाइन और स्पेस मिशन की दुनिया में कदम रखना आसान नहीं।

2. क्वांटम फिजिक्स

सत्य से ज़्यादा जटिल है सूक्ष्म कणों की दुनिया। क्वांटम थ्योरी, वेव-पार्टिकल ड्यूलिटी और हाइजेनबर्ग अनसर्टेनिटी प्रिंसिपल को समझना हर किसी के बस की बात नहीं।

3. मशीन लर्निंग

डेटा के जंगल में से पैटर्न पहचानने की कला। यह कोर्स प्रोग्रामिंग, मैथ और लॉजिक का कठिन मिश्रण है। इसे समझना भी आसान नहीं।

4. रोबोटिक्स इंजीनियरिंग

हाई-टेक हार्डवेयर और इंटेलिजेंट सॉफ्टवेयर के तालमेल से बनते हैं रोबोट। इसे पढ़ने वालों को मैकेनिक्स से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक में महारत चाहिए।

5. बायोमेडिकल इंजीनियरिंग

जीवविज्ञान और तकनीक का संगम। इंसान के शरीर को तकनीकी रूप से बेहतर बनाने की कोशिशें, जो हर दिन नई चुनौती पेश करती हैं।

6. थ्योरेटिकल मैथमेटिक्स

जहां एक हल के पीछे छिपे होते हैं हजारों सवाल। यह कोर्स लॉजिक, प्रूफ और एब्स्ट्रैक्शन का चरम रूप है। इसे समझना इतना आसान नहीं।

7. एस्ट्रोफिजिक्स

ब्रह्मांड के रहस्यों को समझना आसान नहीं। ब्लैक होल, बिग बैंग और डार्क मैटर पर काम करने के लिए ज़रूरत होती है मजबूत फिजिक्स और मैथ बैकग्राउंड की।

8. स्पेस साइंस

धरती से परे की दुनिया को समझने का सफर। रॉकेट साइंस, सैटेलाइट सिस्टम और इंटरप्लेनेटरी मिशन से जुड़ा बेहद डिमांडिंग फील्ड।

9. न्यूरोसाइंस

इंसानी दिमाग – जो खुद सबसे जटिल प्रणाली है। इसे पढ़ने वाले छात्रों को बायोलॉजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स और साइकोलॉजी – सबकुछ एक साथ समझना पड़ता है।

10. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

मशीन को सोचने और समझने लायक बनाना। कंप्यूटर साइंस, लॉजिक, मैथ और नैतिकता का यह मिश्रण किसी साधारण कोर्स से कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है।

भारत की नई मिसाइल: मारक क्षमता 12,000 किमी!

नई दिल्ली: भारत ने अपनी सामरिक शक्ति को और मजबूत करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही अत्याधुनिक K-6 मिसाइल जल्द ही भारतीय नौसेना के बेड़े का हिस्सा बनने जा रही है। यह मिसाइल न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत है, बल्कि इसकी मारक क्षमता भी चौंकाने वाली है।

पनडुब्बी से छोड़ी जा सकने वाली मिसाइल

K-6 एक Submarine-Launched Ballistic Missile (SLBM) है, जिसे विशेष रूप से भारतीय नौसेना की अरिहंत-क्लास परमाणु पनडुब्बियों से लॉन्च किए जाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। इसका मतलब यह है कि यह मिसाइल गहरे समुद्र में रहकर भी दुश्मन पर सटीक और घातक प्रहार कर सकती है। K-6 की मारक क्षमता लगभग 10,000 से 12,000 किलोमीटर होने की उम्मीद है।

रणनीतिक शक्ति में भारी इजाफा

विशेषज्ञों का मानना है कि K-6 के शामिल होने से भारत की न्यूक्लियर ट्रायड (Nuclear Triad) यानी थल, जल और नभ – तीनों माध्यमों से परमाणु हमला करने की क्षमता को जबरदस्त मजबूती मिलेगी। यह मिसाइल भारत को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा करती है जिनके पास ऐसी अति-दीर्घ दूरी तक मार करने वाली SLBM तकनीक मौजूद है।

डीआरडीओ की अभूतपूर्व उपलब्धि

DRDO के वैज्ञानिकों ने इस परियोजना को उच्चतम गोपनीयता और उन्नत तकनीकी मानकों के साथ विकसित किया है। अभी मिसाइल परीक्षण के विभिन्न चरणों से गुजर रही है, और उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में इसे नौसेना की तैनाती के लिए पूरी तरह तैयार कर दिया जाएगा।

बिहार में इन शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई के आदेश

पटना। बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की अनुशासनहीनता को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब वे शिक्षक जो स्कूल में हाजिरी दर्ज कर गायब हो जाते हैं या फिर स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहते हैं, उनकी खैर नहीं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए दोषी शिक्षकों की तत्काल पहचान कर उनके खिलाफ निलंबन व विभागीय कार्रवाई करने को कहा है।

गोपनीय जांच में खुली पोल

28 अप्रैल को प्राप्त एक गोपनीय शिकायत के आधार पर शिक्षा विभाग ने राज्य के कुछ सरकारी विद्यालयों का औचक निरीक्षण कराया। निरीक्षण के दौरान यह सामने आया कि कुछ शिक्षक, जो विद्यालय के निकट ही रहते हैं, वे केवल उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करके स्कूल से चले जाते हैं और दिनभर अनुपस्थित रहते हैं।

इतना ही नहीं, कुछ शिक्षकों के स्थानीय राजनीतिक गतिविधियों में भी शामिल होने की पुष्टि हुई है। ये शिक्षक न केवल अपनी शैक्षणिक जिम्मेदारियों से विमुख हैं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप के जरिए विद्यालयी व्यवस्था को भी प्रभावित कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग का सख्त रुख

डॉ. सिद्धार्थ ने इसे शिक्षा विभाग के प्रति गंभीर धोखाधड़ी करार देते हुए कहा है कि ऐसे शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि ऐसे मामलों में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों को तत्काल निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

राजनीति और शिक्षा का घातक मेल

शिक्षा विभाग के अनुसार, शिक्षकों का राजनीति में लिप्त होना न केवल उनके कर्तव्यों की अनदेखी है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। विभाग का मानना है कि शिक्षक समाज का मार्गदर्शक होता है और यदि वही अपने मूल दायित्वों से भटक जाए, तो शिक्षा की नींव कमजोर हो जाती है।

शिक्षा व्यवस्था में सुधार की पहल

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षकों की मनमानी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह अभियान सिर्फ एक बार का निरीक्षण नहीं, बल्कि एक निरंतर निगरानी और सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा है। आने वाले दिनों में और भी विद्यालयों में औचक निरीक्षण होंगे और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

डायबिटीज के 5 साइलेंट लक्षण — जिन्हें अक्सर लोग नजरअंदाज करते हैं

हेल्थ डेस्क: क्या आप अक्सर थकान महसूस करते हैं? बार-बार पानी पीने की जरूरत लगती है या अचानक वजन कम हो रहा है? अगर हां, तो ये मामूली लक्षण नहीं, बल्कि डायबिटीज के साइलेंट संकेत हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो भारत में हर साल लाखों लोग डायबिटीज से पीड़ित होते हैं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर को तब तक इसका पता नहीं चलता जब तक कि बीमारी गंभीर रूप न ले ले। इसकी सबसे बड़ी वजह है — शुरुआती लक्षणों को हल्के में लेना।

डायबिटीज के 5 साइलेंट लक्षण।

1. बार-बार पेशाब आना

अगर आपको दिन में 6-7 बार से ज़्यादा पेशाब आता है, या रात में 2-3 बार नींद टूटती है, तो यह शरीर से अतिरिक्त ग्लूकोज निकालने का संकेत हो सकता है।

2. बार-बार प्यास लगना

जब शरीर ज्यादा ग्लूकोज को यूरिन के जरिए बाहर निकालता है, तो डिहाइड्रेशन शुरू हो जाता है, जिससे बार-बार पानी पीने की इच्छा होती है। यह डायबिटीज का क्लासिक संकेत है।

3. लगातार थकान महसूस होना

ब्लड में शुगर होते हुए भी अगर शरीर को ऊर्जा नहीं मिल रही, तो आप हर वक्त थके-थके रहेंगे। ऐसा तब होता है जब शरीर इंसुलिन के जरिए ग्लूकोज को सेल्स में नहीं पहुंचा पा रहा।

4. अचानक वजन कम होना

अगर आपने डाइट नहीं बदली, फिर भी कुछ ही हफ्तों में वजन कम हो गया — तो यह खतरे की घंटी है। शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल न कर पाने पर मसल्स और फैट को तोड़ना शुरू कर देता है।

5. नजर कमजोर होना

ब्लड शुगर का स्तर जब हाई होता है, तो यह आंखों के लेंस को प्रभावित करता है, जिससे धुंधला दिखने लगता है। इसे अनदेखा करना आंखों की स्थायी क्षति का कारण बन सकता है।

बिहार में वन रेंज अधिकारियों की बंपर भर्ती: 1 मई से आवेदन

पटना। बिहार पुलिस अधीनस्थ सेवा आयोग (BPSSC) ने युवाओं के लिए सुनहरा मौका पेश किया है। आयोग ने वन रेंज अधिकारी (Forest Range Officer) के 24 पदों पर सीधी भर्ती के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इच्छुक और योग्य अभ्यर्थी 1 मई 2025 से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। आवेदन की अंतिम तिथि 1 जून 2025 निर्धारित की गई है।

 शैक्षणिक योग्यता

भर्ती के लिए उम्मीदवारों के पास निम्न में से कोई एक डिग्री होनी चाहिए: बी.एससी (B.Sc), बी.टेक / बीई (B.Tech/BE), बीवीएससी (BVSC) (डिग्री प्रासंगिक विषय क्षेत्र से होनी चाहिए)

आयु सीमा

न्यूनतम आयु: 20 वर्ष, पुरुष अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु: 37 वर्ष, महिला अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु: 40 वर्ष, आरक्षित वर्गों को आयु सीमा में नियमानुसार छूट मिलेगी।

वेतनमान

वन रेंज अधिकारियों को लेवल-6 के अंतर्गत रु. 35400 से 112400 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा। इसके अलावा सरकारी सेवा के सभी भत्ते और सुविधाएं भी लागू होंगी।

आवेदन शुल्क

सामान्य, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस व अन्य राज्य के अभ्यर्थी के लिए आवेदन शुल्क ₹700/- एससी, एसटी और बिहार निवासी महिला के लिए  ₹400/- निर्धारित किया गया हैं।

आवेदन प्रक्रिया

उम्मीदवार 1 मई 2025 से आयोग की आधिकारिक वेबसाइट bpssc.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण तिथियां

ऑनलाइन आवेदन शुरू होने की तिथि: 01 मई 2025

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 01 जून 2025

यूपी के इन रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बड़ी खबर सामने आई है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि केवल वे ही रिटायर्ड कर्मचारी जुलाई महीने के वेतनवृद्धि (इंक्रीमेंट) के हकदार होंगे, जो 1 मई, 2023 के बाद 30 जून को सेवानिवृत्त हुए हैं। इससे पहले रिटायर हो चुके कर्मचारियों को इस लाभ के साथ कोई एरियर नहीं मिलेगा।

यह फैसला जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस दोनाडी रमेश की डिवीजन बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए सुनाया। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 11 अप्रैल 2023 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि लाभ केवल 1 मई, 2023 के बाद रिटायर होने वालों को ही मिलेगा, और यह सीमा निर्णायक मानी जाएगी।

क्या था मामला?

पुलिस होमगार्ड विभाग से रिटायर्ड सतीश चंद्र सिंह समेत 10 अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ भूतलक्षी (retrospective) होना चाहिए और 2015 से 2024 तक 30 जून को रिटायर हुए सभी कर्मचारियों को इंक्रीमेंट और एरियर मिलना चाहिए।

हालांकि, हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के पुराने आदेश को सुप्रीम कोर्ट की मंशा के विपरीत बताते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई कट-ऑफ तिथि (1 मई 2023) को ही प्रभावी माना जाएगा।

क्या होगा असर?

इस फैसले का सीधा असर उन हजारों रिटायर्ड कर्मचारियों पर पड़ेगा जो 1 मई 2023 के पहले 30 जून को रिटायर हो चुके हैं। उन्हें अब न तो इंक्रीमेंट का लाभ मिलेगा और न ही बकाया वेतन (एरियर)। वहीं, जिन कर्मचारियों की रिटायरमेंट 1 मई 2023 के बाद 30 जून को हुई है, उन्हें यह अतिरिक्त लाभ मिलेगा।

पुणे में 'जूनियर सचिवालय सहायक' के 18 पदों पर भर्ती

पुणे: राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (NCL), पुणे ने ‘जूनियर सचिवालय सहायक (Junior Secretariat Assistant - JSA)’ के 18 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। यह भर्ती पूर्णकालिक (Full-time) पदों के लिए की जा रही है और इच्छुक उम्मीदवारों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 5 मई 2025 निर्धारित की गई है।

पात्रता और योग्यता:

इस भर्ती के लिए उम्मीदवारों का 10+2 (XIIवीं) उत्तीर्ण होना आवश्यक है। साथ ही, कंप्यूटर टाइपिंग स्पीड और कंप्यूटर के उपयोग में दक्षता आवश्यक है, जो समय-समय पर DoPT द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए।

वेतनमान:

चयनित उम्मीदवारों को ₹19,900 से ₹63,200 प्रतिमाह का वेतन प्रदान किया जाएगा, जो केंद्र सरकार के सातवें वेतन आयोग के अनुसार निर्धारित है।

आयु सीमा:

उम्मीदवार की अधिकतम आयु 28 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। आरक्षित वर्गों को सरकारी नियमानुसार आयु में छूट प्रदान की जाएगी।

चयन प्रक्रिया:

उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से किया जाएगा। विस्तृत चयन प्रक्रिया के लिए अभ्यर्थियों को आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध नोटिफिकेशन देखना चाहिए।

आवेदन शुल्क:

सामान्य (UR), ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क ₹500 निर्धारित है। महिला, अनुसूचित जाति/जनजाति, दिव्यांग, भूतपूर्व सैनिक एवं CSIR के स्थायी कर्मचारियों के लिए आवेदन निशुल्क है।

आवेदन प्रक्रिया:

इच्छुक उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट https://recruit.ncl.res.in/ के माध्यम से 5 मई 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

भारत को वीटो पावर देने की मांग तेज, रूस ने जताया समर्थन!

नई दिल्ली – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थायी सदस्यता और वीटो शक्ति देने की मांग को रूस ने अपना समर्थन देकर एक नई गति दे दी है। रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने BRICS विदेश मंत्रियों की बैठक में इस मांग का जोरदार समर्थन करते हुए कहा कि भारत और ब्राजील जैसे देशों को संयुक्त राष्ट्र की निर्णय प्रक्रिया में अधिक अधिकार मिलना चाहिए।

सेर्गेई लावरोव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की जरूरत है, ताकि अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके। उन्होंने विशेष रूप से भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता की वकालत करते हुए कहा कि इन देशों को स्थाई सदस्यता दी जानी चाहिए।

भारत ने वर्षों से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता और वीटो शक्ति की मांग की है। यह पहला मौका नहीं है जब किसी वैश्विक ताकत ने भारत के पक्ष में खुलकर समर्थन जताया हो, लेकिन रूस का यह सीधा और स्पष्ट समर्थन भारत की दावेदारी को मजबूती देने वाला माना जा रहा है।

क्या है वीटो शक्ति और क्यों है अहम?

वर्तमान में सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य – अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम – को वीटो का विशेष अधिकार प्राप्त है। इस शक्ति के तहत, यदि इन पाँच में से कोई भी एक देश किसी प्रस्ताव पर ‘ना’ कह देता है, तो वह प्रस्ताव पास नहीं हो पाता – भले ही बाकी सभी देश उसका समर्थन करें। यही वजह है कि कई बार ज़रूरी वैश्विक फैसले, जैसे युद्धविराम, मानवीय सहायता, या सुरक्षा से जुड़े प्रस्ताव, वीटो के चलते अटक जाते हैं।

बिहार में गर्मी की छुट्टियों का ऐलान: जानें किस दिन से बंद होंगे स्कूल

पटना: बिहार में भीषण गर्मी ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है। पारा लगातार चढ़ता जा रहा है और लू का असर आम जनजीवन के साथ-साथ स्कूली बच्चों पर भी पड़ने लगा है। इसी को देखते हुए बिहार शिक्षा विभाग ने वर्ष 2025 के लिए गर्मियों की छुट्टियों की तारीखें पहले ही घोषित कर दी हैं।

शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इस साल बिहार के स्कूलों में समर वेकेशन 2 जून से लेकर 21 जून 2025 तक रहेगा। यानी कुल 20 दिनों तक स्कूलों में पढ़ाई नहीं होगी, ताकि छात्र भीषण गर्मी से सुरक्षित रह सकें और उन्हें आराम मिल सके।

बता दें की गया समेत राज्य के कई जिलों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। गया में तो इस बार पिछले 15 वर्षों का तापमान रिकॉर्ड टूट गया है, जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं। शिक्षा विभाग ने समय रहते कदम उठाते हुए गर्मी की छुट्टियों का ऐलान कर दिया, ताकि बच्चों की सेहत पर कोई असर न पड़े।

बिहार शिक्षा विभाग ने वर्ष 2025 के लिए सरकारी स्कूलों की छुट्टियों की पूरी सूची भी पहले ही जारी कर दी है। इस साल कुल 72 छुट्टियां तय की गई हैं, जो पूरे शैक्षणिक वर्ष में लागू रहेंगी। इन छुट्टियों का लाभ सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, परियोजना, उत्क्रमित, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों को मिलेगा।

दरअसल राज्य में बढ़ते तापमान और लू की स्थिति को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि कुछ जिलों में छुट्टियां और भी पहले घोषित की जा सकती हैं। हालांकि यह निर्णय मौसम की स्थिति को देखते हुए लिया जायेगा। फिलहाल, राज्यभर के छात्र समर वैकेशन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

यूपी में आउटसोर्स कर्मियों के लिए नई व्यवस्था होगी लागू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में कार्यरत छह लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक नई और सशक्त व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसका उद्देश्य न केवल इन कर्मियों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि सेवा प्रक्रिया को भी पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। सरकार की पहल पर राज्य में ‘यूपी आउटसोर्स सेवा निगम’ के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

छह स्तरों पर होगा निगम का संचालन

निगम का प्रशासनिक ढांचा छह स्तरों पर कार्य करेगा, जिसकी सर्वोच्च इकाई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स होगी। इसके अलावा सलाहकार समिति, निगम कार्यालय, शासन स्तर, मंडल एवं जिला स्तरीय वेरिफिकेशन कमिटियां गठित की जाएंगी। मुख्यालय में एमडी के पद पर सचिव स्तर के अधिकारी की तैनाती होगी, जबकि एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के तीन पद प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे। शेष पदों पर भर्ती आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जाएगी।

बिना भुगतान ओवरटाइम कराने पर रोक

निगम के जरिए अब आउटसोर्स कर्मचारियों से तय समय से अधिक कार्य करवाने की स्थिति में बिना ओवरटाइम भुगतान के काम नहीं लिया जा सकेगा। इसके अलावा, कर्मचारियों की नौकरी को सुरक्षित रखने के लिए भी स्पष्ट मानक तय किए जा रहे हैं। अब तक एजेंसियों की मर्जी पर निर्भर इन कर्मचारियों के शोषण को रोकने के लिए यह व्यवस्था एक बड़ी राहत साबित होगी।

वेतन प्रक्रिया होगी पारदर्शी, 5 तारीख तक वेतन

निगम के मसौदे के अनुसार कर्मचारियों का कार्यदिवस हर महीने की 21 तारीख से अगले महीने की 20 तारीख तक माना जाएगा। इसके आधार पर वेतन निर्धारण की प्रक्रिया शुरू होगी और हर महीने की 5 तारीख तक कर्मचारियों के बैंक खातों में वेतन जमा कराया जाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही ईपीएफ और ईएसआई की धनराशि भी समय पर जमा कर निगम को सूचना देनी होगी।

बीमा और पेंशन जैसी योजनाएं भी लागू की जाएगी

निगम के जरिए आउटसोर्स कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। ईपीएफ योजना के तहत सेवानिवृत्ति पर ₹1000 से ₹7500 तक पेंशन, विधवा या माता-पिता को मृत्यु पर ₹1000 से ₹2900 तक मासिक पेंशन की सुविधा दी जाएगी। इसके साथ ही, बैंकों के सहयोग से कर्मियों का ₹30 लाख तक का ऐक्सिडेंटल डेथ या डिसेबिलिटी बीमा भी कराया जाएगा।

एजेंसियों की संख्या होगी सीमित, जवाबदेही होगी तय

वर्तमान में कार्यदायी संस्थाओं और एजेंसियों की अधिकता के कारण समन्वय में दिक्कत आती है। इसलिए अब निगम के जरिए इनकी संख्या सीमित करने का प्रस्ताव है। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश के 18 मंडलों में तीन एजेंसियों का चयन हो सकता है—हर एजेंसी को छह मंडलों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। यदि यह संभव न हो, तो तीन मंडलों पर एक एजेंसी नियुक्त की जा सकती है।

UP BEd 2025: यूपी में 'बीएड' के लिए करें आवेदन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) कोर्स में दाखिले के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए आज एक अहम दिन है। बीएड एंट्रेंस एग्जाम 2025 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि आज, यानी 30 अप्रैल 2025 निर्धारित की गई है। जिन उम्मीदवारों ने अभी तक फॉर्म नहीं भरा है, उनके पास बिना किसी लेट फीस के आवेदन करने का यह आखिरी मौका है।

लेट फीस के साथ आवेदन कर सकते हैं

अगर किसी कारणवश कोई अभ्यर्थी आज तक आवेदन नहीं कर पाता है, तो वह 1 मई से 5 मई 2025 तक लेट फीस के साथ फॉर्म भर सकता है। इस अवधि में जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों को 2000 रुपये, जबकि एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 1000 रुपये आवेदन शुल्क के रूप में जमा करने होंगे।

एग्जाम डेट और ऑफिशियल वेबसाइट

यूपी बीएड एंट्रेंस एग्जाम 2025 का आयोजन 1 जून 2025 को किया जाएगा। अभ्यर्थी बीयू झांसी (Bundelkhand University, Jhansi) की आधिकारिक वेबसाइट www.bujhansi.ac.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

एप्लीकेशन फीस डिटेल

बिना लेट फीस के आवेदन करने पर शुल्क निम्न प्रकार से तय किया गया है: जनरल/ओबीसी/ईडब्ल्यूएस वर्ग: ₹1400, एससी/एसटी वर्ग (केवल यूपी निवासी): ₹700, अन्य राज्य के अभ्यर्थी: ₹1400

कैसे करें आवेदन

बीयू झांसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: www.bujhansi.ac.in, यूपी बीएड 2025 के आवेदन लिंक पर क्लिक करें। रजिस्ट्रेशन करें और जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करें, फीस का भुगतान करें और फॉर्म सबमिट करें, आवेदन की प्रति डाउनलोड करके सुरक्षित रखें। 

अहमदाबाद: Specialist Officers के 500 पदों पर भर्ती

अहमदाबाद: बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने स्पेशलिस्ट ऑफिसर (Specialist Officer - SO) के 500 पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 30 अप्रैल 2025 से 20 मई 2025 तक आधिकारिक वेबसाइट unionbankofindia.co.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

पदों का विवरण:

सहायक प्रबंधक (क्रेडिट) – 250 पद

सहायक प्रबंधक (आईटी) – 250 पद

शैक्षणिक योग्यता:

इन पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास निम्न में से कोई एक डिग्री होना अनिवार्य है: B.Tech / BE, CA / CS / ICWA, M.Sc / ME / M.Tech, MBA / PGDM / PGDBM, MCA आदि। 

आयु सीमा:

इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु: 22 वर्ष, अधिकतम आयु: 30 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। आरक्षित वर्गों को नियमानुसार आयु में छूट दी जाएगी।

आवेदन शुल्क:

SC/ST/PwBD उम्मीदवारों के लिए: ₹177 (GST सहित), अन्य सभी श्रेणियों के लिए: ₹1180 (GST सहित), अधिक जानकारी के लिए नोटिश देखें।

आवेदन प्रक्रिया:

यूनियन बैंक की आधिकारिक वेबसाइट unionbankofindia.co.in पर जाएं। “Careers” सेक्शन में जाएं और “Recruitment of Specialist Officers 2025” लिंक पर क्लिक करें। निर्देशों के अनुसार फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें। आवेदन शुल्क का भुगतान कर फॉर्म सबमिट करें।

चयन प्रक्रिया:

इन पदों पर भर्ती लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर की जाएगी। विस्तृत परीक्षा पैटर्न और सिलेबस की जानकारी जल्द ही वेबसाइट पर जारी की जाएगी।

वेतनमान: 

दोनों पदों के लिए वेतनमान एक जैसा है: ₹48,480 – ₹85,920

बिहार के नर्मदेश्वर तिवारी बने वायुसेना के उपप्रमुख

पटना। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय वायुसेना को एक नया नेतृत्व मिला है। बिहार के सीवान जिले के शरीकलपुर गांव निवासी एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी को भारतीय वायुसेना का नया उपप्रमुख नियुक्त किया गया है। वे मौजूदा उपप्रमुख एयर मार्शल सुजीत पुष्पाकर धारकर की जगह लेंगे, जो 30 अप्रैल को सेवा निवृत्त हो रहे हैं। एयर मार्शल तिवारी 1 मई से अपने नए पद का कार्यभार संभालेंगे।

गांधीनगर से दिल्ली तक का सफर

वर्तमान में एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी गांधीनगर स्थित साउथ वेस्टर्न एयर कमांड के कमांडर के रूप में कार्यरत हैं। उनके नेतृत्व में यह कमांड रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। वायुसेना के अंदरूनी ढांचे, रणनीतिक योजना, और युद्ध अभियानों में उनके अनुभव को अत्यधिक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

वायुसेना के रणनीतिक मस्तिष्क

अपने चार दशक से अधिक के सेवा काल में एयर मार्शल तिवारी ने अनेक प्रमुख अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाई है। उन्हें वायुसेना के एक कुशल रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है, जिनका योगदान सामरिक नीति निर्धारण में बेहद अहम रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि उनके नेतृत्व में वायुसेना आने वाले समय में और अधिक संगठित और सशक्त रूप में उभरेगी।

पहलगाम हमले के बाद बढ़ा महत्व

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ आपात बैठक की और आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के संकेत दिए। ऐसे संवेदनशील समय में एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी का उपप्रमुख पद पर आना न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वायुसेना की आगामी दिशा को भी प्रभावित करेगा।

बिहार के सीवान से दिल्ली तक जश्न

एयर मार्शल तिवारी की नियुक्ति ने उनके गांव शरीकलपुर से लेकर पूरे बिहार में गर्व और खुशी का माहौल बना दिया है। उनके गांव में लोग मिठाइयां बांट रहे हैं और पटाखे फोड़कर अपनी खुशी का इज़हार कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि तिवारी की सफलता ने पूरे राज्य को गौरवान्वित किया है और यह युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है।

लुधियाना: पंजाब में 5 दिन आंधी-बारिश का अलर्ट

लुधियाना: पंजाब में इस समय भीषण गर्मी का दौर चल रहा है, लेकिन राहत की खबर यह है कि आने वाले दिनों में मौसम करवट लेने वाला है। मौसम विभाग ने 1 मई से लेकर 4 मई और फिर 7 मई तक राज्य के कई हिस्सों में हल्की बारिश, तेज हवाएं और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। इस दौरान राज्य में यलो और ऑरेंज अलर्ट भी प्रभावी रहेगा।

तापमान में गिरावट, बठिंडा सबसे गर्म

हालांकि, बीते 24 घंटों के दौरान राज्य के तापमान में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। पूरे पंजाब में औसतन तापमान में 2.2 डिग्री सेल्सियस की कमी आई है, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली है। चंडीगढ़ में तापमान 2.6 डिग्री गिरकर 35.9 डिग्री पर पहुंच गया है। बठिंडा अब भी सबसे गर्म जिला बना हुआ है, जहां अधिकतम तापमान 42.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

चक्रवाती हवाओं के कारण बदलेगा मौसम

दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान और उसके आसपास के क्षेत्रों में समुद्र तल से 1.5 किलोमीटर ऊपर एक चक्रवाती हवा का क्षेत्र बना हुआ है। इसका असर पंजाब के मौसम पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, आगामी 72 घंटों तक तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, लेकिन उसके बाद 2 से 4 डिग्री की गिरावट देखी जा सकती है।

राज्य के किसानों को अलर्ट रहने की सलाह

मौसम विभाग ने साफ किया है कि 1 मई से मौसम में भारी बदलाव होगा। ऐसे में गेहूं की कटाई कर रहे किसानों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। तेज हवाओं और बारिश से फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। विभाग ने किसानों से कहा है कि वे फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें और मौसम की अद्यतन जानकारी पर नजर बनाए रखें।

क्या कहता है अलर्ट

1 से 4 मई और 7 मई: हल्की बारिश की संभावना

तेज हवाएं: 30–40 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार से चल सकती हैं

बिजली गिरने की भी चेतावनी दी गई है: यलो और ऑरेंज अलर्ट जारी

वडोदरा में Vidyut Sahayak समेत 36 पदों पर भर्ती

वडोदरा – गुजरात राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (GSECL) ने एक बार फिर युवाओं के लिए सुनहरा अवसर प्रस्तुत किया है। निगम ने मेडिकल, इंजीनियरिंग और प्रशासनिक क्षेत्रों में कुल 36 पदों पर भर्ती की घोषणा की है। इस भर्ती प्रक्रिया के तहत इच्छुक उम्मीदवार 29 अप्रैल से 19 मई 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

यह भर्ती GSECL की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से की जा रही है, जहां उम्मीदवारों को आवेदन पत्र भरने, दस्तावेज़ अपलोड करने और शुल्क भुगतान जैसी प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। इसको लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिया गया हैं।

चिकित्सा पदों में भर्ती – नर्सिंग से लेकर महिला चिकित्सक तक

चिकित्सा क्षेत्र में कुल 10 पद रखे गए हैं। इसमें स्टाफ नर्स, रेडियोलॉजी-कम-पैथोलॉजी तकनीशियन और सहायक चिकित्सा अधिकारी जैसे पद शामिल हैं। इन पदों के लिए न्यूनतम योग्यता बीएससी नर्सिंग, एमबीबीएस, या एम.एससी माइक्रोबायोलॉजी रखी गई है।

वेतनमान ₹25,000 से लेकर ₹1,10,100 तक है।

इंजीनियरिंग पद – पर्यावरण और मेटलर्जी इंजीनियरों के लिए अवसर

इंजीनियरिंग वर्ग के अंतर्गत विद्युत सहायक (JE) के रूप में दो प्रमुख पद – पर्यावरण और धातुकर्म (मेटलर्जी) – निकाले गए हैं। इन पदों पर आवेदन के लिए BE/B.Tech (55%) आवश्यक है। चयनित उम्मीदवारों को प्रथम वर्ष में ₹48,100 और द्वितीय वर्ष में ₹50,700 का वेतन मिलेगा।

प्रशासनिक एवं तकनीकी पद – B.Sc और B.Com धारकों के लिए सुनहरा मौका

विद्युत सहायक (कनिष्ठ सहायक), लेखा अधिकारी, और लैब परीक्षक जैसे पदों के लिए B.A., B.Com., B.Sc., BBA योग्यताएं मांगी गई हैं। विशेष रूप से लेखा अधिकारियों के लिए CA/ICWA + 2 वर्ष का अनुभव अनिवार्य किया गया है।

आवेदन प्रक्रिया

जीएसईसीएल की वेबसाइट पर जाएं, पंजीकरण करें और आवेदन पत्र भरें, सभी आवश्यक दस्तावेज़ स्कैन कर अपलोड करें, ऑनलाइन शुल्क का भुगतान कर आवेदन सबमिट करें। इसके बाद ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

बिहार में 72 घंटे में घर बैठे मिलेगा जमीन का नक्शा

पटना: बिहार की जनता के लिए राहत भरी खबर है। अब राज्य के नागरिकों को अपने गांव या शहर का राजस्व नक्शा पाने के लिए न तो सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही लंबी लाइनों में लगना होगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार ने Door Step Delivery of Revenue Maps सेवा की शुरुआत की है, जिसके तहत मात्र 72 घंटे में जमीन का नक्शा सीधे आपके पते पर पहुंचाया जाएगा।

किसे मिलेगा इस सेवा का लाभ?

यह सेवा राज्य के सभी ग्रामीण और शहरी नागरिकों के लिए उपलब्ध है। चाहे आप गांव में रहते हों या किसी नगरपालिका क्षेत्र में, अब किसी भी मौजा या वार्ड का राजस्व नक्शा घर बैठे मंगवाया जा सकता है। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

कहां और कैसे करें आवेदन?

इस सेवा का लाभ उठाने के लिए नागरिकों को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://dlrs.bihar.gov.in पर जाना होगा। वहां "Door Step Delivery of Revenue Maps" विकल्प का चयन करना होगा और चरणबद्ध प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

नक्शा मंगवाने की आसान प्रक्रिया:

वेबसाइट पर जाएं और "Door Step Delivery of Revenue Maps" पर क्लिक करें। Area Type चुनें – Rural (ग्रामीण) या Municipal (शहरी)। Map Type चुनें – CS, RS या CK में से। जिला, थाना/नगरपालिका और मौजा/वार्ड का चयन करें। Search Map पर क्लिक कर Sheet Number चुनें। अधिकतम 5 शीट को "Add to Cart" कर सकते हैं। अब अपना डिलीवरी पता दर्ज करें। पेमेंट करें और रसीद प्राप्त करें। रसीद में मिलेगा Consignment Number, जिससे आप अपने ऑर्डर का स्टेटस भी ट्रैक कर सकते हैं।

पारदर्शिता और सुविधा – दोनों की गारंटी

राजस्व विभाग की इस पहल से नागरिकों को न केवल सुविधा मिलेगी, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता भी आएगी। विभाग ने नक्शा वितरण की समयसीमा 72 घंटे तय की है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जनता को त्वरित सेवा मिले।

बिहार भूमि सर्वे: जमीन मालिकों के लिए नए निर्देश

पटना: बिहार सरकार ने राज्य में चल रहे भूमि सर्वेक्षण कार्य को एक नई दिशा देते हुए जमीन मालिकों के लिए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। अब राज्य में जिन जमीनों की जमाबंदी हो चुकी है, उन्हें 31 मई 2025 तक आधार से लिंक (सीडिंग) कराना अनिवार्य कर दिया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस कार्य को प्राथमिकता देते हुए सभी जिलों के जिलाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

जमीन रिकॉर्ड की आधार से सीडिंग क्यों ज़रूरी?

राज्य सरकार का मानना है कि जमीन की खरीद-बिक्री और स्वामित्व को लेकर बढ़ते फर्जीवाड़ों और विवादों पर लगाम लगाने के लिए आधार लिंकिंग बेहद जरूरी कदम है। अधिकारियों के अनुसार, जब जमीन का रिकॉर्ड आधार से जुड़ जाएगा, तब कोई व्यक्ति एक ही जमीन को बार-बार नहीं बेच सकेगा। इसके साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि एक व्यक्ति के नाम पर कितनी भूमि है।

कैसे कराएं अपनी भूमि की आधार से सीडिंग?

यदि आप बिहार में अपनी जमीन को आधार से लिंक कराना चाहते हैं, तो इसके लिए राजस्व और भूमि सुधार विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज देने होंगे: भूमि की रजिस्ट्री की कॉपी, जमाबंदी नंबर, रसीद (यदि उपलब्ध हो तो), आधार कार्ड की प्रति आदि। ऑनलाइन आवेदन के बाद, संबंधित अंचल कार्यालय में आपके दस्तावेज़ों की जांच की जाएगी। जांच के बाद, अंचल स्तर से ही आपकी भूमि को आधार से लिंक कर दिया जाएगा।

13 लाख लोगों की हो चुकी है सीडिंग

राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 17 लाख से अधिक लोगों ने आधार सीडिंग के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 13 लाख से अधिक भूमि रिकॉर्ड पहले ही आधार से लिंक किए जा चुके हैं। शेष आवेदनों की जांच तेजी से चल रही है। पटना सहित कई जिलों में यह कार्य लगभग अंतिम चरण में है।

क्या होगा अगर सीडिंग नहीं कराई?

यदि निर्धारित समय सीमा — 31 मई 2025 — तक जमीन का रिकॉर्ड आधार से लिंक नहीं कराया गया, तो भविष्य में उस भूमि से जुड़ी खरीद-बिक्री या अन्य कार्यों में बाधा आ सकती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, बिना आधार सीडिंग के जमीन का रिकॉर्ड अधूरा माना जाएगा, और ऐसे मामलों में विधिक प्रक्रिया में भी देरी हो सकती है।

भारत का एयर डिफेंस सिस्टम: दुश्मन के हर हवाई हमले का जवाब

नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान एक बार फिर वही पुराना राग अलाप रहा है – धमकी देना, गीदड़भभकी मारना, और खुद को किसी बड़ी ताकत के रूप में पेश करना। लेकिन हकीकत ये है कि अगर वो जरा भी आगे बढ़ा, तो भारत का आसमानी सुरक्षा कवच उसका नामोनिशान मिटा देगा।

लॉन्ग रेंज – बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस:

भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम, विशेष रूप से प्रथ्वी एयर डिफेंस (PAD) और एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD), दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों को 80 किमी ऊंचाई पर रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सिस्टम 5,000 किमी से अधिक दूरी से आने वाली मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकता है।

मीडियम रेंज – S-400 ट्रायम्फ:

रूस से प्राप्त S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया के सबसे उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक है। यह सिस्टम 400 किमी तक की रेंज में आने वाले दुश्मन विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट कर सकता है। खास बात यह है कि S-400 एक साथ 72 टारगेट पर हमला करने में सक्षम है, और यह दुश्मन के राडार से छुपकर हमला करता है।

शॉर्ट रेंज – आकाश, पेचोरा, स्पाइडर:

भारत के पास कई शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जिनमें प्रमुख हैं आकाश, स्पाइडर, और पेचोरा। आकाश मिसाइल सिस्टम, जो भारत में विकसित किया गया है, 30 से 80 किमी की रेंज में दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।

वहीं, स्पाइडर (SpyDer) सिस्टम, जो इजरायल की मदद से विकसित किया गया है, 360 डिग्री में हाई स्पीड लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है। पेचोरा मिसाइल सिस्टम, जिसका ऑपरेशनल रेंज 35 किमी तक है, खासकर कम ऊंचाई पर उड़ते हुए लक्ष्य को निशाना बनाने में माहिर है।

वेरी शॉर्ट रेंज – मैनपैड्स और एंटी-एयरक्राफ्ट गन्स:

कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों और ड्रोन को नष्ट करने के लिए भारत के पास मैनपैड्स और एंटी-एयरक्राफ्ट गन्स हैं। ये प्रणालियां हथियारों की सटीकता और प्रभावशीलता को बढ़ाती हैं, और तेजी से आक्रमण करने वाले दुश्मन के लिए कड़ी चुनौती पेश करती हैं।

रडार और सैटेलाइट सिस्टम: खतरे का तुरंत पता लगाना

भारत का एयर डिफेंस सिस्टम केवल मिसाइलों तक सीमित नहीं है। इसके साथ-साथ, देश के पास राजेंद्र रडार, ग्रीन पाइन रडार और अर्जुन रडार जैसे अत्याधुनिक रडार हैं, जो किसी भी हवाई खतरे को 1000 किलोमीटर की दूरी से भी ट्रैक कर सकते हैं।

इसके अलावा, IACCS (Integrated Air Command and Control System) के द्वारा इन रडारों से मिली जानकारी का विश्लेषण कर, सही समय पर मिसाइलों और अन्य रक्षा प्रणालियों को सक्रिय किया जाता है। इसलिए भारत पर हमला करना चीन पाकिस्तान किसी के लिए आसान नहीं हैं।

केदारनाथ धाम 2025 यात्रा: भक्तों में उमड़ा उत्साह!

धर्म डेस्क। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित पावन केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 2 मई 2025 को प्रातः 7 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ विधिवत रूप से खोल दिए जाएंगे। कपाटोद्घाटन से ठीक चार दिन पहले, मंगलवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी भोगमूर्ति को चल उत्सव विग्रह के रूप में डोली में विराजमान कर ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर से धाम के लिए रवाना किया गया।

चारधाम यात्रा की आधिकारिक शुरुआत 30 अप्रैल से हो रही है और उसी के अंतर्गत केदारनाथ यात्रा की तैयारियां भी जोरों पर हैं। ऊखीमठ में परंपरा अनुसार भैरवनाथ जी की पूजा और विशेष अनुष्ठानों के साथ कपाट खुलने की प्रक्रिया का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना और मंत्रोच्चारण का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

डोली यात्रा के पड़ाव और कपाट खुलने का कार्यक्रम

भगवान केदारनाथ की डोली अब तय कार्यक्रम के अनुसार गुप्तकाशी, फाटा और गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ धाम पहुंचेगी। 1 मई को डोली के धाम पहुंचने के बाद, अगले दिन यानि 2 मई की सुबह 7 बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। कपाटोद्घाटन के दिन मंदिर को 10 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया जाएगा, जिससे वह भव्य और दिव्य रूप में भक्तों के सामने प्रस्तुत हो।

परंपराओं का हुआ अनुपालन

कपाट खुलने की पूर्व संध्या पर भगवान भैरवनाथ की विशेष पूजा की गई। पारंपरिक विधियों के अनुसार उनका गंगाजल, दूध, शहद और तेल से अभिषेक किया गया। उन्हें नवीन वस्त्र पहनाए गए और काली दाल की पकोड़ी व पूरी की माला अर्पित की गई, जो इस पूजा की एक विशेष परंपरा मानी जाती है।

सुरक्षा और व्यवस्थाओं की समीक्षा

प्रशासन ने भी तीर्थयात्रियों की भारी आमद को देखते हुए तैयारियां पूरी कर ली हैं। रूट क्लियरेंस, मेडिकल सुविधा, रुकने की व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मंदिर समिति के अनुसार, इस बार यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

धार्मिक महत्व

केदारनाथ धाम को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख स्थान प्राप्त है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। शीतकाल में भगवान की पूजा ऊखीमठ में होती है, और कपाट खुलते ही अगले छह महीने तक केदारनाथ में विधिवत पूजा-अर्चना होती है।

यूपी में सभी बिजलीकर्मियों के घरों में लगेंगे स्मार्ट मीटर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटरिंग व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया गया है। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) अब अपने विभागीय कर्मचारियों के घरों में भी स्मार्ट मीटर लगाएगा। यह निर्णय सिर्फ बिजली खपत की सटीक गणना (काउंटिंग) के उद्देश्य से लिया गया है, और इससे कर्मचारियों की किसी भी सुविधा में कोई कटौती नहीं की जाएगी।

कॉर्पोरेशन के चेयरमैन द्वारा मंगलवार को लखनऊ में आयोजित एक समीक्षा बैठक में इस संबंध में निर्देश जारी किए गए। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं की तरह कर्मचारियों की भी बिजली खपत को रिकॉर्ड में लाने के लिए यह जरूरी कदम है। यह भी स्पष्ट किया गया कि सभी कर्मचारी संगठनों की सहमति के बाद ही यह निर्णय लिया गया है।

स्मार्ट मीटर से बढ़ेगी जवाबदेही

बैठक के दौरान चेयरमैन ने कहा, "जितनी बिजली उपभोक्ताओं को दी जा रही है, उतना ही राजस्व वसूलना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि वसूली के लक्ष्य को पूरा न करने वाले अधिकारियों की पहचान की जाएगी और उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

सरकारी दफ्तरों में भी स्मार्ट मीटरिंग होगी तेज

कॉर्पोरेशन अध्यक्ष ने यह भी निर्देश दिया कि सभी सरकारी कार्यालयों में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। उनका मानना है कि इससे न केवल बिजली के दुरुपयोग पर रोक लगेगी, बल्कि राजस्व संग्रहण भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो सकेगा।

गर्मियों में आपूर्ति को लेकर विशेष सतर्कता के निर्देश

गर्मियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए चेयरमैन ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बिजली आपूर्ति में कोई बाधा न आए और किसी भी तरह की कटौती से पहले उपभोक्ताओं को समय रहते सूचित किया जाए। चिनहट क्षेत्र में बार-बार हो रही बिजली कटौती पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने संबंधित अधिकारियों से जवाब भी मांगा है।

बिहार में मैट्रिक पास छात्रों के लिए नई व्यवस्था लागू

पटना: बिहार सरकार ने प्रदेश के छात्र-छात्राओं की सुविधा और शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सत्र 2025-26 से मैट्रिक (10वीं) पास करने वाले विद्यार्थियों का नामांकन अब उसी विद्यालय में कक्षा 11वीं के लिए किया जाएगा, जहाँ से उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की है। इस नई व्यवस्था को राज्यभर के सभी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा।

इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। साथ ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) के सचिव को भी पत्र भेजा गया है, ताकि इस प्रक्रिया को सही और व्यवस्थित रूप से लागू किया जा सके।

छात्रों को मिलेगा विकल्प भी

इस नई व्यवस्था के अंतर्गत छात्रों को यह भी विकल्प दिया गया है कि यदि वे किसी अन्य विद्यालय में नामांकन लेना चाहते हैं, तो वे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा संचालित ऑनलाइन फैसिलिटेशन सिस्टम फॉर स्टूडेंट्स (OFSS) के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। OFSS एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है, जिसकी मदद से छात्र अपनी पसंद के विद्यालयों में आवेदन कर सकते हैं और नियमों के अनुसार उन्हें स्थान आवंटित किया जाएगा।

शिक्षा विभाग का उद्देश्य

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि इस फैसले का उद्देश्य छात्रों को नामांकन के लिए इधर-उधर भटकने से बचाना, विद्यालयों में पारदर्शिता बनाए रखना और शैक्षणिक सत्र की शुरुआत समय पर सुनिश्चित करना है। इससे छात्रों और अभिभावकों दोनों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अब उन्हें लंबी और जटिल नामांकन प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।

जल्द शुरू होगी OFSS की प्रक्रिया

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जल्द ही OFSS पोर्टल पर 11वीं नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसकी विस्तृत जानकारी समिति की आधिकारिक वेबसाइट और समाचार माध्यमों के जरिए छात्रों और अभिभावकों तक पहुंचाई जाएगी।

मुख्य बिंदु:

मैट्रिक पास छात्र अब 11वीं में अपने पुराने विद्यालय में ही होंगे नामांकित

अन्य विद्यालय में नामांकन के लिए OFSS पोर्टल से करना होगा आवेदन

शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को जारी किए दिशा-निर्देश

पारदर्शिता और सुविधा को ध्यान में रखकर लिया गया यह अहम फैसला

बिहार में क्लर्क, शिक्षक सहित 5554 पदों पर भर्ती

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों में शिक्षकों और विभिन्न गैर-शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया को तेज कर दिया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने कुल 5554 रिक्त पदों पर बहाली की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें क्लर्क, शिक्षक, प्राचार्य, प्रयोगशाला सहायक, आशुलिपिक, चालक सहित कई अहम पद शामिल हैं।

जल्द पूरी होगी बहाली प्रक्रिया

सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के 38 इंजीनियरिंग कॉलेजों और 46 पॉलिटेक्निक संस्थानों में अगले शैक्षणिक सत्र से पहले सभी खाली पदों को भर दिया जाए, जिससे शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिल सके। विभाग ने विभिन्न आयोगों को रिक्तियों से संबंधित प्रस्ताव भेजना शुरू कर दिया है और शेष रिक्तियों के लिए रोस्टर क्लियरेंस की प्रक्रिया चल रही है।

शिक्षकों के लिए 2694 पद शामिल

इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 1545 पदों पर शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे, जिनमें 26 प्राचार्य, 241 प्राध्यापक, 594 सह प्राध्यापक और 684 सहायक प्राध्यापक शामिल हैं। अभी तक 80 पद बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) को भेजे जा चुके हैं, जबकि शेष 1465 पद जल्द ही भेजे जाएंगे। पॉलिटेक्निक संस्थानों में 1149 शिक्षकों की बहाली होगी, जिनमें 30 प्राचार्य, 229 विभागाध्यक्ष और 890 व्याख्याता शामिल हैं।

तकनीकी व गैर-शैक्षणिक पदों पर भी बहाली

तकनीकी सेवा आयोग को 1816 प्रयोगशाला सहायक और अनुदेशक पदों की रिक्तियां भेजी जा चुकी हैं। वहीं, 1044 गैर-शैक्षणिक पदों में से 827 पदों के लिए रिक्तियां बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) को भेज दी गई हैं। इन पदों में सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, आशुलिपिक, लिपिक, कार्यालय परिचारी और चालक शामिल हैं।

चयन प्रक्रिया: लिखित परीक्षा और साक्षात्कार

इन सभी पदों पर अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर किया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया आयोगों की आधिकारिक वेबसाइटों पर जल्द शुरू होने की उम्मीद है। इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से संबंधित आयोगों की आधिकारिक वेबसाइटों पर विजिट करते रहें ताकि वे आवेदन की तिथि, पात्रता, परीक्षा पैटर्न व अन्य आवश्यक जानकारी समय रहते प्राप्त कर सकें।