बिहार में जमीन खरीद-बिक्री को लेकर नए निर्देश

पटना, 29 अप्रैल: बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राज्य में जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने रैयतों और आम नागरिकों को जागरूक करते हुए स्पष्ट किया है कि कौन-सी जमीन खरीदना सुरक्षित है और किन प्रकार की भूमि से दूरी बनाना ही समझदारी होगी। विभाग का यह कदम जमीन संबंधी विवादों को रोकने और पारदर्शी भू-व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।

बिना बंटवारे की पुश्तैनी जमीन से रहें दूर

दिशा-निर्देशों में सबसे अहम बात यह कही गई है कि रैयतों को बिना बंटवारे की पुश्तैनी जमीन नहीं खरीदनी चाहिए। इस तरह की जमीनों में स्वामित्व को लेकर कई बार परिवारिक विवाद देखने को मिलते हैं, जिससे खरीदार भविष्य में कानूनी झमेले में फंस सकते हैं।

रेंट फ्री और धार्मिक जमीनों की खरीद-बिक्री पर रोक

विभाग ने यह भी साफ किया है कि रेंट फ्री यानी बेलागानी जमीन जैसे गैरमजरूआ आम और खास, कैंसरे हिंद, बंदोबस्ती, सैराट, बाजार, हाता, नदी, पइन, श्मशान, कब्रिस्तान, मठ एवं मंदिर की जमीनों की न तो खरीद की जा सकती है और न ही बिक्री की अनुमति है। ऐसे मामलों में की गई खरीद-बिक्री अमान्य मानी जाएगी और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

भूदान में मिली जमीन भी नहीं हो सकती क्रय-विक्रय

भूदान आंदोलन के तहत मिली जमीनों को लेकर भी सरकार ने चेतावनी दी है। ऐसे जमीनों का न तो वैध क्रय-विक्रय किया जा सकता है और न ही उनकी जमाबंदी संभव है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे इन भूमि श्रेणियों की पहचान कर सतर्क रहें।

जमीन खरीद से पहले करें गहन जांच

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि जमीन खरीदने से पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल जरूर करें। जमाबंदी विवरण, खाता, खेसरा, रकबा और विक्रेता की पहचान से लेकर नक्शा और चौहद्दी का मिलान करना अनिवार्य बताया गया है। विभाग ने सुझाव दिया है कि खरीदी जा रही जमीन की सीमाओं की अस्थाई पहचान या चाहरदीवारी का निर्माण कराया जाए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। साथ ही, निबंधन दस्तावेजों की सत्यता की जांच के लिए विभाग की वेबसाइट का उपयोग करने की सलाह भी दी गई है।

0 comments:

Post a Comment