गांव-गांव में सर्वे की कार्रवाई
राज्य के विभिन्न जिलों में गांव स्तर पर सर्वे और जांच का कार्य शुरू किया गया है। राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से गैरमजरूआ खास जमीन पर अपना दावा न कर सके। इसके लिए विशेष टीमों का गठन कर जमीन की मापी, रिकॉर्ड की जांच और डिजिटल सत्यापन किया जा रहा है।
क्या है गैरमजरूआ खास जमीन?
गैरमजरूआ खास जमीन वह होती है जो सरकारी होती है और किसी एक विशेष उद्देश्य के लिए आरक्षित रहती है — जैसे सड़क, स्कूल, सामुदायिक भवन या अन्य सार्वजनिक हित के काम। इस जमीन को किसी व्यक्ति को स्थायी रूप से देने की अनुमति नहीं होती। लेकिन वर्षों से कई स्थानों पर इस जमीन पर अवैध कब्जे, पट्टे, हुकुमनामे और लगान भुगतान के नाम पर रैयती दावे किए गए हैं, जो कानून के खिलाफ हैं।
अवैध जमाबंदियों पर सरकार का प्रहार
राज्य सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि ऐसे सभी अवैध दस्तावेजों (पट्टा, हुकुमनामा, लगान रसीद आदि) के आधार पर किए गए दावे अब मान्य नहीं होंगे। अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे ऐसे सभी मामलों में जमाबंदी रद्द करें और सरकारी जमीन को मुक्त कराएं।
बिहार में क्यों जरूरी है यह कदम?
इस अभियान का सबसे बड़ा उद्देश्य भूमाफियाओं पर नियंत्रण पाना और गरीबों एवं आम नागरिकों के लिए सरकारी योजनाओं के लिए भूमि सुनिश्चित करना है। सरकार का मानना है कि यदि ये जमीनें मुक्त होती हैं, तो इनका उपयोग गांवों में सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य बुनियादी ढांचों के विकास में किया जा सकता है।
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