राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनुसार, राज्य में चल रहे व्यापक भूमि सर्वेक्षण के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां लोगों ने आपसी सहमति से जमीन की अदला-बदली की है, लेकिन दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे मामलों में सर्वेक्षण कार्य में रुकावट आ रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए अब कानून में संशोधन किया गया है।
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण अभियान के तहत रैयती और अन्य श्रेणी की भूमि का नया खतियान (अधिकार अभिलेख) और भू-मानचित्र (नक्शा) तैयार किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि भूमि के सही रिकॉर्ड तैयार करने के लिए 100 फीसदी पारदर्शिता और सटीकता जरूरी है। मौजूदा व्यवस्था में मौखिक सहमति से हुए भूमि लेन-देन को नज़रअंदाज़ करने से बड़ी संख्या में ग्रामीणों और किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
क्या बदलेगा नए नियमों से?
संशोधित नियमों के तहत अब सर्वेक्षण के दौरान कार्यरत खानापूरी दल मौखिक सहमति के आधार पर क्रियान्वित किए गए बदलेन को भी अभिलेखों में दर्ज कर सकेगा। यह कदम पारदर्शिता, व्यावहारिकता और प्रक्रियागत गतिशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव से न केवल सर्वेक्षण कार्य में तेजी आएगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षों से चली आ रही भूमि विवादों की समस्या भी काफी हद तक कम होगी।
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