तीन चरणों में लागू होगी योजना
यह व्यापक योजना तीन चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में दो महीने के भीतर 3,500 से अधिक प्रशिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे आगे की ट्रेनिंग देने में सक्षम हों। दूसरे चरण में पूरे राज्य में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे और विस्तृत ट्रेनिंग कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे। तीसरे और अंतिम चरण में मास्टर ट्रेनर्स की मदद से हर महीने 1.5 लाख लोगों को एआई की शिक्षा दी जाएगी, जिससे आगामी 4 से 6 महीनों में लगभग 10 लाख लोग एआई में दक्ष बन सकेंगे।
कौन ले सकेगा भाग?
इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, प्रोफेसर, डॉक्टर, छात्र, निजी क्षेत्र के नौकरीपेशा लोग, एनजीओ से जुड़े कार्यकर्ता, किसान, जनसेवा केंद्र संचालक और महिलाएं एआई की शिक्षा ले सकेंगे। यह ट्रेनिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध होगी।
कहां होगी पढ़ाई?
ट्रेनिंग के लिए तकनीकी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, कौशल विकास केंद्रों और जिला स्तर पर मौजूद कृषि विज्ञान केंद्रों का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी के सहयोग से मंडल स्तर पर सभागारों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
क्या सिखाया जाएगा?
कोर्स के तहत प्रतिभागियों को एआई की बुनियादी जानकारी, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिसिस, और इन तकनीकों का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग सिखाया जाएगा। इससे वे न सिर्फ रोजगार के नए अवसरों के लिए तैयार होंगे, बल्कि कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में तकनीकी नवाचार ला सकेंगे।
कॉर्पोरेट कंपनियों का साथ
इस योजना को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार को माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, गुवी (एचसीएल), वाधवानी फाउंडेशन और 1M1B जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों का साथ मिला है। ये सभी कंपनियां कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत ट्रेनिंग देने में सहयोग करेंगी।
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