हाई कोर्ट का फैसला और उसकी अनदेखी
दिसंबर 2024 में पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि वे नियोजित शिक्षक जिन्होंने 12 साल की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें प्रोन्नति का अधिकार मिलना चाहिए। यह फैसला शिक्षक संजय कुमार की 2021 में दायर याचिका पर आया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि नियोजित शिक्षकों के साथ राज्य सरकार भेदभाव कर रही है और उन्हें प्रोन्नति तथा स्थानांतरण जैसे अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग का यू-टर्न
हालांकि, इस फैसले के चार महीने बाद शिक्षा विभाग ने अप्रत्याशित रूप से एक नया रुख अपनाया है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला ने हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 के तहत ही शिक्षकों को प्रोन्नति मिल सकती है, वह भी सक्षमता परीक्षा (Competency Test) पास करने के बाद। इसके साथ ही विभाग ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ एलपीए दाखिल करने की तैयारी कर ली है।
हजारों शिक्षकों में गहरी नाराजगी
सरकार के इस फैसले से हजारों शिक्षक आहत हैं। वे लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे और कोर्ट के आदेश से उन्हें आशा की किरण दिखाई दी थी। लेकिन अब जब सरकार ने एलपीए दाखिल करने का निर्णय लिया है, तो शिक्षकों में गहरी नाराजगी और असंतोष देखा जा रहा है।
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