सेर्गेई लावरोव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की जरूरत है, ताकि अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके। उन्होंने विशेष रूप से भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता की वकालत करते हुए कहा कि इन देशों को स्थाई सदस्यता दी जानी चाहिए।
भारत ने वर्षों से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता और वीटो शक्ति की मांग की है। यह पहला मौका नहीं है जब किसी वैश्विक ताकत ने भारत के पक्ष में खुलकर समर्थन जताया हो, लेकिन रूस का यह सीधा और स्पष्ट समर्थन भारत की दावेदारी को मजबूती देने वाला माना जा रहा है।
क्या है वीटो शक्ति और क्यों है अहम?
वर्तमान में सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य – अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम – को वीटो का विशेष अधिकार प्राप्त है। इस शक्ति के तहत, यदि इन पाँच में से कोई भी एक देश किसी प्रस्ताव पर ‘ना’ कह देता है, तो वह प्रस्ताव पास नहीं हो पाता – भले ही बाकी सभी देश उसका समर्थन करें। यही वजह है कि कई बार ज़रूरी वैश्विक फैसले, जैसे युद्धविराम, मानवीय सहायता, या सुरक्षा से जुड़े प्रस्ताव, वीटो के चलते अटक जाते हैं।
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