अब तक ड्राइविंग टेस्ट संभागीय परिवहन विभाग की देखरेख में पुलिस लाइन मैदान पर होते थे, जहां आवेदकों को खुद का वाहन लेकर जाना पड़ता था और आरटीओ अधिकारी के सामने ड्राइविंग करके टेस्ट पास करना होता था। लेकिन इस प्रक्रिया में मानकों की कमी और पारदर्शिता का अभाव देखा गया, जिससे अब नई प्रणाली लागू की जा रही है।
आधुनिक प्रशिक्षण केंद्र 30 अप्रैल से
ड्राइविंग टेस्ट की इस नई व्यवस्था की शुरुआत जिले में 30 अप्रैल से होने जा रही है। अरतौनी सिकंदरा क्षेत्र में बने इस पहले प्रशिक्षण एवं परीक्षण केंद्र का उद्घाटन मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह करेंगे। यह केंद्र तकनीकी रूप से अत्याधुनिक होगा, जहां दोपहिया और चारपहिया दोनों प्रकार के वाहनों के लिए ट्रैफिक ट्रैक तैयार किया गया है।
एआरटीओ (प्रशासन) एनसी शर्मा ने जानकारी दी कि “इस केंद्र के माध्यम से अब टेस्ट प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल निगरानी में होगी, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकेगी। इस प्रणाली से ड्राइविंग स्किल का सही मूल्यांकन हो सकेगा और सड़क सुरक्षा भी बेहतर होगी।”
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
राज्य सरकार का मानना है कि सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या में अनुशासनहीन ड्राइविंग एक बड़ी वजह है। ऐसे में केवल फॉर्मल टेस्ट प्रक्रिया से हटकर, व्यावहारिक योग्यता के आधार पर लाइसेंस देना ज़रूरी हो गया था। इस नई प्रणाली से केवल वही आवेदक ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे जो वाकई कुशल ड्राइवर हैं।
नया सिस्टम उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो बिना पूरी तैयारी के लाइसेंस प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन यह कदम सड़क सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है। इससे सही व्यक्ति को ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा।
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