वीटो पावर क्या हैं? दुनिया में कितने देशों के पास है ये शक्ति!

न्यूज डेस्क। दुनिया में जब भी शांति, युद्धविराम या मानवीय संकटों पर वैश्विक सहमति की जरूरत होती है, तब एक नाम बार-बार सामने आता है – "वीटो पावर"। यह एक ऐसी शक्ति है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कुछ चुनिंदा देशों को प्राप्त है और जिसके बल पर वे पूरी दुनिया के फैसलों को पलट सकते हैं। पर सवाल यह है – क्या यह शक्ति विश्व शांति के हित में है या यह वैश्विक असमानता का प्रतीक बन चुकी है?

वीटो पावर क्या है?

वीटो पावर (Veto Power) का अर्थ है ‘निषेध शक्ति’। यह शक्ति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पांच स्थायी सदस्य देशों के पास होती है। यदि इन पांच में से कोई भी एक देश किसी प्रस्ताव पर "ना" कह देता है, तो वह प्रस्ताव खारिज हो जाता है – चाहे बाकी सभी देश उसके पक्ष में क्यों न हों। यह अधिकार संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 27 के अंतर्गत आता है। इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद गठित वैश्विक व्यवस्था में स्थिरता और संतुलन बनाए रखने के लिए शामिल किया गया था।

कौन–कौन से देश रखते हैं वीटो पावर?

वर्तमान में केवल 5 स्थायी सदस्य देशों के पास वीटो पावर है, जिन्हें अक्सर P5 कहा जाता है: इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) हैं। इनके अलावा सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य भी होते हैं, लेकिन उन्हें वीटो पावर प्राप्त नहीं होती।

वीटो पावर को लेकर विवाद और आलोचना

1 .लोकतंत्र के विरुद्ध: वीटो एक देश को पूरी दुनिया की इच्छा पर भारी बना देता है।

2 .मानवता के लिए खतरा: कई बार वीटो के चलते मानवीय सहायता या संघर्षविराम प्रस्ताव अटक जाते हैं।

3 .सुधार की जरूरत: भारत, ब्राज़ील, जापान और जर्मनी जैसे उभरते देशों की मांग है कि सुरक्षा परिषद का विस्तार हो और वीटो प्रणाली में बदलाव लाया जाए।

क्या वीटो पावर का कोई समाधान है?

संयुक्त राष्ट्र में वेटो को खत्म करना आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए P5 देशों की सर्वसम्मति चाहिए – और वे स्वयं अपनी विशेष शक्ति क्यों छोड़ेंगे? हालांकि दुनिया के कई देश भारत, ब्राज़ील, जापान और जर्मनी को इसमें शामिल करने का समर्थन करते हैं। 

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